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रामपाल (हरियाणा) - विकिपीडिया

रामपाल (हरियाणा)

रामपाल जी महाराज भारतीय आध्यात्मिक संत
  1. संत रामपाल जी महाराज का सर्व को संदेश
  2. संत रामपाल जी महाराज जी की जीवनी

रामपाल की जीवनी

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रामपाल का जन्म 8 सितम्बर 1951 को गांव धनाना जिला सोनीपत हरियाणा में एक किसान परिवार में हुआ। पढ़ाई पूरी करके हरियाणा प्रांत में सिंचाई विभाग में जूनियर इंजिनियर की पोस्ट पर 18 वर्ष कार्यरत रहे। सन् 1988 में परम संत रामदेवानंद जी से दीक्षा प्राप्त की तथा तन-मन से सक्रिय होकर स्वामी रामदेवानंद जी द्वारा बताए भक्ति मार्ग से साधना की परन्तु कुछ हासिल नहीं हुआ |

संत रामपाल जी को नाम दीक्षा 17 फरवरी 1988 को फाल्गुन महीने की अमावस्या को रात्राी में प्राप्त हुई। उस समय संत रामपाल जी महाराज की आयु 37 वर्ष थी। उपदेश दिवस (दीक्षा दिवस) को संतमत में उपदेशी भक्त का आध्यात्मिक जन्मदिन माना जाता है।

उपरोक्त विवरण श्री नास्त्रोदमस जी की उस भविष्यवाणी से पूर्ण मेल नहीं खाता है जो पृष्ठ संख्या 44.45 पर लिखी है। क्यूंकि नास्त्रोदमस जी ने जो भविष्यवाणी लिखी है उसमें बताया गया है कि एसे द्वीप में पैदा होगा जो तीनों तरफ से समुद्र से घिरा हो, और जो भारत को उन्नति के मार्ग पर लेजाये, परन्तु एसा क्षेत्र धनाना नहीं बल्कि गुजरात है जो कि तीनों तरफ से समुद्र से घिरा हुआ है | अर्थात क्यूंकि नास्त्रोदमस जी की वो भविष्यवाणी श्री नरेंद्र मोदी जी के लिए है जो कि सम्पूर्ण भारत को उन्नति की और ले जारहे हैं जबकि रामपाल जेल में बंद है |

1- रामपाल का ब्राह्मणों को पाखंडी बताना - रामपाल की लिखी हुई पुस्तक “ज्ञान गंगा” के पेज नंबर 31 में रामपाल कहता है कि ब्राह्मणों को माँ दुर्गाजी ने श्राप दिया था कि- तेरे आगे वंशज होंगे जो पाखण्ड करेंगे , झूठी बात बनाकर जग को ठगेंगे , स्वयं को ज्ञान नहीं होगा और पुरानों को पढ़कर सुनाया करेंगे , दूसरों की निंदा करेंगे | मित्रों ऊपर दी गयी कथा का पुरानों में कोई भी उल्लेख नहीं है | जिस कथा का सहारा लेकर उसने ब्राह्मणों का अपमान किया है उस कथा का वास्तविकता से कोई लेना देना ही नहीं है ( प्रमाण के साथ रामपाल के पाखंड का प्रमाण नीचे देखें ) ब्राह्मणों को इस प्रकार रामपाल ने अपमानित किया और ब्राह्मण किसी विरुद्ध विद्रोह नहीं किये जिस कारण कोई भी कुछ भी लिखकर छाप देता है, और बना बना कर एसे पाखंडी संत रामपाल का प्रचार प्रसार करता है | 2- रामपाल अपने ज्ञान गंगा पुस्तक के 41 नंबर के पेज में कहता है कि ऋग्वेद के कांड नंबर 4 के छटवें मंत्र में परमेश्वर ने श्रष्टि की रचना की और सतलोक का वर्णन किया है | परन्तु ये रामपाल झूठा है इसका प्रमाण ऋग्वेद के इसी मन्त्र का अनुवाद आप स्वयं नीचे पढ़ लीजिये |


कान्हा से सब होत है, बंदे से कछु नांहि।

राई से पर्वत करे, पर्वत से फिर राई।। रामपाल को लोगों ने उठाकर पर्वत बनादिया लेकिन उसके गलत कार्यों की वजह से वापस राइ बनाकर जमीन पर लादिया गया और अब वह जेल में बंद है |

संत रामपाल जी महाराज को ई.सं. (सन्) 2001 में अक्तुबर महीने के प्रथम बृहस्पतिवार को अचानक प्रेरणा हुई कि ”सर्व धर्मां के सद्ग्रन्थों का गहराई से अध्ययन कर” इस आधार पर सर्वप्रथम पवित्र श्रीमद् भगवद्गीता जी का अध्ययन किया तथा पुस्तक ‘गहरी नजर गीता में‘ की रचना की तथा उसी आधार पर सर्वप्रथम राजस्थान प्रांत के जोधपुर शहर में मार्च 2002 में सत्संग प्रारंभ किया। इसलिए नास्त्रोदमस जी ने कहा है कि विश्व धार्मिक हिन्दू संत (शायरन) पचास वर्ष की आयु में अर्थात् 2001 ज्ञेय ज्ञाता होकर प्रचार करेगा। संत रामपाल जी महाराज का जन्म पवित्र हिन्दू धर्म में सन् (ई.सं.) 1951 में 8 सितम्बर को गांव धनाना जिला सोनीपत, प्रांत हरियाणा (भारत) में एक किसान परिवार में हुआ। इस प्रकार सन् 2001 में संत रामपाल जी महाराज की आयु पचास वर्ष बनती है, सो नास्त्रोदमस के अनुसार खरी है। इसलिए वह विश्व धार्मिक नेता संत रामपाल जी महाराज ही हैं जिनकी अध्यक्षता में भारतवर्ष पूरे विश्व पर राज्य करेगा। पूरे विश्व में एक ही ज्ञान (भक्ति मार्ग) चलेगा। एक ही कानून होगा, कोई दुःखी नहीं रहेगा, विश्व में पूर्ण शांति होगी। जो विरोध करेंगे अंत में वे भी पश्चाताप करेंगे तथा तत्वज्ञान को स्वीकार करने पर विवश होंगे और सर्व मानव समाज मानव धर्म का पालन करेगा और पूर्ण मोक्ष प्राप्त करके सतलोक जाएंगे।

जिस तत्वज्ञान के विषय में नास्त्रोदमस जी ने अपनी भविष्यवाणी में उल्लेख किया है कि उस विश्व विजेता संत के द्वारा बताए शास्त्र प्रमाणित तत्व ज्ञान के सामने पूर्व के सर्व संत निष्प्रभ (असफल) हो जाएंगे तथा सर्व को नम्र होकर झुकना पड़ेगा। उसी के विषय में परमेश्वर कबीर बन्दी छोड़ जी ने अपनी अमृत वाणी में पवित्र ‘कबीर सागर‘ ग्रंथ में (जो संत धर्मदास जी द्वारा लगभग 550 वर्ष पूर्व लीपीबद्ध किया गया है) कहा है कि एक समय आएगा जब पूरे विश्व में मेरा ही ज्ञान चलेगा। पूरा विश्व शांति पूर्वक भक्ति करेगा। आपस में विशेष प्रेम होगा, सतयुग जैसा समय (स्वर्ण युग) होगा। परमेश्वर कबीर बन्दी छोड़ द्वारा बताए ज्ञान को संत रामपाल जी महाराज ने समझा है। इसी ज्ञान के विषय में कबीर साहेब जी ने अपनी वाणी में कहा है कि --

कबीर, और ज्ञान सब ज्ञानड़ी, कबीर ज्ञान सो ज्ञान।

जैसे गोला तोब का, करता चले मैदान।।

भावार्थ है कि यह तत्वज्ञान इतना प्रबल है कि इसके समक्ष अन्य संतों व ऋषियों का ज्ञान टिक नहीं पाएगा। जैसे तोब यंत्रा का गोला जहां भी गिरता है वहां पर सर्व किलों तक को ढहा कर साफ मैदान बना देता है।

यही प्रमाण संत गरीबदास जी (छुड़ानी, जिला झज्जर, हरियाणा वाले) ने दिया है कि सतगुरु (तत्वदर्शी संत परमेश्वर कबीर बन्दी छोड़ का भेजा हुआ) दिल्ली मण्डल में आएगा।

"गरीब, सतगुरु दिल्ली मण्डल आयसी, सूती धरणी सूम जगायसी"

परमात्मा की भक्ति बिना कंजूस हो गए व्यक्तियों को जगाएगा। गांव धनाना, जिला सोनीपत पहले दिल्ली शासित क्षेत्र में पड़ता था। इसलिए संत गरीबदास जी महाराज ने कहा है कि सतगुरु (वास्तविक ज्ञान जानने वाला संत अर्थात् तत्व दृष्टा संत) दिल्ली मण्डल में आएगा फिर कहा है कि -

"साहेब कबीर तख्त खवासा, दिल्ली मण्डल लीजै वासा"

भावार्थ है कि परमेश्वर कबीर बन्दी छोड़ के तख्त (दरबार) का ख्वास (नौकर) अर्थात् परमेश्वर का नुमायंदा (प्रतिनिधि) दिल्ली मण्डल में वास करेगा अर्थात् वहां उत्पन्न होगा। प्रथम अपने हिन्दू बंधुओं को तत्वज्ञान से परिचित करवाएगा। बुद्धिमान हिन्दू ऐसे जागेंगे जैसे कोई हड़बड़ा कर जागता है अर्थात् उस संत के द्वारा बताए तत्व ज्ञान को समझ कर अविलम्ब उसकी शरण ग्रहण करेंगे। फिर पूरा विश्व उस तत्वदर्शी हिन्दू संत के ज्ञान को स्वीकार करेगा। यह भविष्यवाणी श्री नास्त्रोदमस जी ने भी की है। नास्त्रोदमस जी ने यह भी लिखा है कि मुझे दुःख इस बात का है कि उससे परिचित न होने के कारण मेरा शायरन (तत्वदृष्टा संत) उपेक्षा का पात्र बना है। हे बुद्धिमान मानव ! उसकी उपेक्षा ना करो। वह तो सिंहासनस्थ करके (आसन पर बैठा कर) अराध्य देव (इष्टदेव) रूप में मान करने योग्य है। वह हिन्दू धार्मिक संत शायरन आदि पुरुष (पूर्ण परमात्मा) का अनुयाई जगत् का तारणहार है।

नास्त्रोदमस जी भविष्य वक्ता ने पुस्तक पृष्ठ 41.42 पर तीन शब्द का उल्लेख किया है। कहा है कि वह विश्व विजेता तत्वदृष्टा संत क्रुरचन्द्र अर्थात् काल की दुःखदाई भूमि से छुड़ा कर अपने आदि अनादि पूर्वजों के साथ वारिस बनाएगा तथा मुक्ति दिलाएगा। यहां पर उपदेश मंत्र की ओर संकेत है कि वह शायरन केवल तीन शब्द (ओम्-तत्-सत्) ही मंत्र जाप देगा। इन तीन शब्दों के साथ मुक्ति का कोई अन्य शब्द न चिपकाएगा। यही प्रमाण पवित्र ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 90 मंत्र 16 में, सामवेद श्लोक संख्या 822 तथा श्रीमद् भगवत् गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में है कि पूर्ण संत (तत्वदर्शी संत) तीन मंत्र (ओम्-तत्-सत् जिनमें तत् तथा सत् सांकेतिक हैं) दे कर पूर्ण परमात्मा (आदि पुरुष) की भक्ति करवा कर जीव को काल-जाल से मुक्त करवाता है। फिर वह साधक की भक्ति कमाई के बल से वहां चला जाता है जहां आदि सृष्टी के अच्छे प्राणी रहते हैं। जहां से यह जीव अपने पूर्वजों को छोड़ कर क्रुरचन्द्र (काल प्रभु) के साथ आकर इस दुःखदाई लोक में फंस कर कष्ट पर कष्ट उठा रहा है। नास्त्रोदमस जी ने यह भी स्पष्ट किया है कि मध्य काल अर्थात् बिचली पीढ़ी हिन्दू धर्म का आदर्श जीवन जीएंगे। शायरन (तत्वदृष्टा संत) अपने ज्ञान से दैदिप्यमान उतंग ऊँचा स्वरूप अर्थात् सर्व श्रेष्ठ शास्त्रानुकूल भक्ति विधान फिर से बिना शर्त उजागर करवाएगा ओर मानवी संस्कृति अर्थात् मानव धर्म के लक्षण निर्धोक (निष्कपट भाव से) संवारेगा। (मधल्या कालात हिन्दू धर्मांचे व हिन्दुच्या आदर्शवत् झालेल - यह मराठी भाषा में पृष्ठ 42 पर लिखा है कि उपरोक्त भावार्थ है कि बिचली पीढ़ी का उद्धार शायरन करेगा। यह उल्लेख पृष्ठ 42 की हिन्दी लिखना रह गया था इसलिए यहां लिख दिया है तथा स्पष्टीकरण भी दिया है। यही प्रमाण स्वयं पूर्ण परमात्मा कबीर जी ने कहा है कि

धर्मदास तोहे लाख दुहाई, सारज्ञान व सारशब्द कहीं बाहर न जाई।

           सारनाम बाहर जो परही, बिचली पीढ़ी हंस नहीं तर ही।।

                       सारज्ञान तब तक छुपाई, जब तक द्वादस पंथ न मिट जाई)।

जैसे ई.सं.(सन्) 1947 में भारतवर्ष अंगे्रजों से मुक्त हुआ। उससे पहले हिन्दुस्तान में शिक्षा नहीं थी। सन् 1951 में संत रामपाल जी महाराज को परमेश्वर जी ने पृथ्वी पर भेजा। सन् 1947 से पहले कलियुग की प्रथम पीढ़ी जानें तथा 1947 से बिचली पीढ़ी प्रारम्भ हुई है। यह एक हजार वर्ष तक सत्य भक्ति करेगी। इस दौरान जो पूर्ण निश्चय के साथ भक्ति करेगा वह सतलोक चला जाएगा। जो सतलोक नहीं जा सके तथा कभी भक्ति की, कभी छोड़ दी, परंतु गुरु द्रोही नहीं हुए वे फिर हजारों मनुष्य जन्म इसी कलियुग में प्राप्त करेंगे क्योंकि यह उनकी शास्त्राविधि अनुसार साधना का परिणाम होगा। इस प्रकार कई हजारों वर्षों तक कलियुग का समय वर्तमान से भी अच्छा चलेगा। फिर अंत की पीढ़ी भक्ति रहित उत्पन्न होगी क्योंकि शुभ कमाई जो भक्ति युग में की है वह बार-2 जन्म प्राप्त करके खर्च (समाप्त) कर दी होगी। इस प्रकार कलियुग के अंत की पीढ़ी कृतघनी होगी। वे भक्ति नहीं कर सकेंगी। इसलिए कहा है कि अब कलियुग की बिचली पीढ़ी चल रही है (1947 से)। सन् 2006 से वह शायरन सर्व के समक्ष प्रकट हो चुका है, वह है ”संत रामपाल जी महाराज“।

उपरोक्त ज्ञान जो बिचली पीढ़ी व प्रथम तथा अंतिम पीढ़ी वाला संत रामपाल जी महाराज अपने प्रवचनों में वर्षों से बताते आ रहे हैं जो अब नास्त्रोदमस जी की भविष्यवाणी ने भी स्पष्ट कर दिया। इसलिए संत गरीबदास जी महाराज ने कहा है कि - कबीर परमेश्वर की भक्ति पूर्ण संत से उपदेश लेकर करो नहीं तो यह अवसर फिर हाथ नहीं आएगा।

गरीब, समझा है तो सिर धर पांव, बहुर नहीं रे ऐसा दाव।।

भावार्थ है कि यदि आप तत्वज्ञान को समझ गए हैं तो सिर पर पैर रख अर्थात् अतिशिघ्रता से तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज से उपदेश लेकर अपना कल्याण करवाओ। यह सुअवसर फिर प्राप्त नहीं होगा। जैसे यह बिचली पीढ़ी (मध्य काल) वाला समय और आपका मानव शरीर तथा तत्वदृष्टा संत प्रकट है। यदि अब भी भक्ति मार्ग पर नहीं लगोगे तो उसके विषय में कहा है कि --

यह संसार समझदा नांही, कहंदा श्याम दुपहरे नूं।

गरीबदास यह वक्त जात है, रोवोगे इस पहरे नूं।।

भावार्थ है कि संत गरीबदास जी महाराज कह रहे हैं कि यह भोला संसार शास्त्राविधि रहित साधना कर रहा है जो अति दुःखदाई है, इसी को सुखदाई कह रहा है। जैसे जून मास दोपहर (दिन के बारह बजे) में धूप में खड़ा-2 जल रहा है उसी को सांय बता रहा है। जैसे कोई शराबी व्यक्ति शराब पीकर सड़क पर पड़ा है और उससे कोई कहे कि आप दोपहर की धूप में क्यों जल रहे हो, छांया में चलो। वह शराब के नशे में कहता है कि नहीं सांय है, कौन कहता है कि दोपहर है ?  इसी प्रकार जो साधक शास्त्राविधि त्याग कर मनमाना आचरण कर रहे हैं वे अपना जीवन नष्ट कर रहे हैं। उसे त्यागना नहीं चाहते अपितु उसी को सर्व श्रेष्ठ मानकर काल के लोक की आग में जल रहे हैं। संत गरीबदास जी महाराज कह रहे हैं कि इतने प्रमाण मिलने के पश्चात् भी सतसाधना पूर्ण संत के बताए अनुसार नहीं करोगे तो यह अनमोल मानव शरीर तथा बिचली पीढ़ी का भक्ति युग हाथ से निकल जाएगा फिर इस समय को याद करके रोवोगे, बहुत पश्चाताप करोगे। फिर कुछ नहीं बनेगा। परमेश्वर कबीर जी बन्दी छोड़ ने कहा है कि -

अच्छे दिन पाछै गए, सतगुरु से किया ना हेत।

अब पछतावा क्या करे, जब चिडि़या चुग गई खेत।।

सर्व मानव समाज से प्रार्थना करते हैं कि पूर्ण संत रामपाल जी महाराज को पहचानों तथा अपना व अपने परिवार का कल्याण करवाओ। अपने रिश्तेदारों तथा दोस्तों को भी बताओ तथा पूर्ण मोक्ष पाओ। स्वर्ण युग प्रारम्भ हो चुका है। लाखों पुण्य आत्मांए संत रामपाल जी तत्वदर्शी संत को पहचान कर सत्य भक्ति कर रहे हैं, वे अति सुखी हो गए हैं। सर्व विकार छोड़ कर निर्मल जीवन जी रहे हैं।

संत रामपाल जी महाराज के कितने अनुयायी हैं?

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संत रामपाल जी महाराज के दुनिया भर में लाखों अनुयायी हैं। जेल में होने के बावजूद भी पूर्ण मोक्ष के लिए संत रामपाल जी महाराज द्वारा प्रदान की जा रही प्रामाणिक भक्ति विधि और नाम दीक्षा लेने के बाद प्राप्त होने वाले लाभों के कारण उनके अनुयायी दिन-ब-दिन बढ़ रहे हैं। संत रामपाल जी द्वारा बताई गई भक्ति से आयु वृद्धि, घातक बीमारियां ठीक होना आदि अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। यहीं वजह है कि उनके अनुयायी भारत और नेपाल में बड़ी संख्या में मौजूद हैं। साथ ही, पूरी दुनिया में भी फैले हुए हैं।


FAQs : "संत रामपाल जी महाराज जी की जीवनी"

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Q.1 रामपाल कौन हैं?

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रामपाल कबीर साहेब का अवतार नहीं हैं। वो ढोंग करके कबीर को परमात्मा बताता है और उस साधना को करने से ही मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है जो कि पूर्णतः असत्य है , क्यूंकि मोक्ष प्रदान करने की शक्ति संसार में केवल भगवान् श्रीमान नारायण महाविष्णु जी के हाथ में ही है | कबीरदास जी केवल एकमात्र कवी थे जिनको रामपाल ने भगवन बनाकर प्रस्तुत करदिया क्यूंकि अलग प्लान बताकर ही लोगों को भड़काया जा सकता है |यदि रामपाल में शक्ति होती तो वह बुलेट प्रूफ कांच में बैठकर सत्संग नहीं सुनाता, आखिर सर्वशक्तिमान का अवतार है कोई तो उसको म्रत्यु का क्या भय?

यह सब झूठ है, रामपाल लोगों को धर्म के मार्ग से भटकाते हैं।

Q.2 संसार में सच्चा संत कौन है?

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सच्चा संत केवल वे ही होता है जो अपने अनुयायियों को शास्त्र आधारित भक्ति विधि बताता है। सच्च्चा संत कभी रामपाल की तरह श्रीराम व् श्रीकृष्ण का अपमान नहीं करता है , रामपाल ने ज्ञान गंगा नामक पुस्तक छपवाकर उसके पेज संख्या 13 में लिखा है कि श्री ब्रह्मा, श्री विष्णु और श्री महादेव की पूजा नहीं करनी है , एसा कहने वाला व्यक्ति एक गलत आदमी गिरा हुआ आदमी होसकता है लेकिन संत कभी नहीं होसकता है | सच्चा संत कभी किसी का अपमान नहीं करता है | संत ह्रदय नवनीत समाना , कहा कविंह पर कहे न जाना | निज संताप द्रवे नवनीता, पर दुःख द्रवाही सुसंत पुनीता || सच्चा संत वह होता है जो कि दुसरे के दुःख में दुखी हो , न कि हत्या करने वाले रामपाल के जैसा |

Q. 3 कबीर के गुरु कौन थे?

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कबीर एक साधारण मनुष्य थे , रामपाल ने एक साधारण कवी को उठाकर भगवान् बना डाला । उन्होंने लगभग 600 साल पहले स्वामी रामानंद जी को अपना गुरु बनाया था। तुलसीदास जी , मीरा बाई जी आदि की तरह ही कबीरदास एक साधारण काव्यकार थे | रामपाल के द्वारा रचे पाखण्ड से कबीरदास को महान बताया गया जो कि झूठ है |

Q.4 क्या कबीर सर्वोच्च भगवान हैं?

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जी नहीं, कबीर एक साधारण मनुष्य थे , अनेक पुरानों तथा वेदों में ये वर्णित है कि इश्वर का अंतिम अवतार "कल्कि" अवतार होगा, तो बीच में ये कबीर कहा से भगवन होगया ? कलिकाल के अंत में भगवान् कल्कि का अवतार होना शेष है, केवल श्रीराम जो महाविष्णु के अवतार हैं यानी महाविष्णु ही सर्वशक्तिमान हैं |

Q.5 कबीरदास कौन से धर्म को मानते थे?

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कबीर और रामपाल किसी धर्म को नहीं मानते थे, इसीलिए रामपाल ने परमात्मा बताने के लिए कबीरदास जी को चुना | लोगों को विरोधाभास देने पर ही लोग रामपाल को अपना गुरु मानते इसीलिए उसने सनातन धर्म के विपरीत मार्ग को अपनाया |

Q.6 कबीर जी किसकी पूजा करते थे?

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कबीरदास को पूजा करने की आवश्यकता नहीं थी क्योंकि वे स्वयं महा अज्ञानी थे | उन्होंने कभी वेदों को नहीं पढ़ा था | सनातन धर्म की थोड़ी सी भी जानकारी रखने वाला मनुष्य मूर्ति पूजा का विरोश नहीं कर सकता | हरि की पूजा आप मूर्तिमान हरि को देखकर अथवा ध्यान विधि से करें , दोनों ही सार्थक हैं |

Q.7 रामपाल के ज्ञान से संबंधित हैशटैग ट्विटर पर क्यों ट्रेंड करते रहते हैं?

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भारत में बड़ी संख्या में अनपढ़ लोगों की भरमार है | किसी एक अंधे के पीछे लाठी लेकर अनेक अंधे जिस प्रकार चल रहे हों , इसी प्रकार लाखों अनपढ़ आज हत्या एवं दुष्कर्म के आरोपी रामपाल को भगवान् मानते हैं | इसी कारण इस रामपाल के द्वारा कही गयी बातें ट्रेंड कर जाती हैं , प्रसिद्धि तो रावण को भी प्राप्त थी परन्तु अधर्म और अज्ञानता के कारण रावण का वध हुआ और रामपाल जेल में बंद है |

Q.8 रामपाल जेल में क्यों हैं?

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बबीता नाम की सेविका से दुष्कर्म करना, अवैध गर्भपात सेंटर खोलना, आश्रम में खुदकी सेना बनाकर रखना, अवैध हथियारों का जखीरा आश्रम से बरामद होना , सरकार की बात न मानना , सरकारी कार्यों में बाधा डालना , सनातन धर्म के विरोश में जाना आदि अनेक अपराधों के कारण रामपाल आजीवन कारावास की सजा काट रहा है |

Q.9 लोग रामपाल का विरोध क्यूँ करते हैं

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दुनियाभर के अनेक लोग रामपाल का विरोध इसीलिए करते हैं क्यूंकि इसको स्वयं संस्कृत भाषा का ढंगसे उछारण करना भी नहीं आता है , और इसने सनातन धर्म का सदा ही अज्ञानता में फंसकर विरोध किया है , अपना नाम चमकाने के लिए इसने श्री ब्रह्मा, श्री हरि विष्णु और महादेव का अनेकों बार अपमान किया है | इसी अपमान के फलस्वरूप आज यह जेल में सड़ रहा है ----