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रामपाल (हरियाणा)

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जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज

रामपाल दास
जन्म रामपाल दास
8 सितम्बर 1951 (1951-09-08) (आयु 72)
धनाना , पंजाब (अभी हरियाणा), भारत में
राष्ट्रीयता भारतीय
उपनाम रामपाल दास,
पेशा आध्यात्मिक गुरु , तत्वज्ञानी
प्रसिद्धि का कारण सतलोक, कबीर पंथ एवं वेदों एवं विभिन्न शास्त्रों से प्रमाणित ज्ञान का प्रचार जैसे चारों वेद, सूक्ष्म वेद, कबीर सागर, सर्व धर्मों के धर्म ग्रंथ से प्रमाणित तत्व ज्ञान का प्रचार प्रसार
वेबसाइट
www.jagatgururampalji.org

जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज एक भारतीय गरीबदासी शाखा से संबंधित वास्तविक/ सच्चे कबीर पंथी गुरु हैं जिसका प्रमाण कबीर सागर में वर्णित है। ये सतलोक आश्रम के संस्थापक एवं संचालक भी हैं जो कि नेपाल व भारत के विभिन्न राज्यों सहित हरियाणा के हिसार क्षेत्र में स्थित है।[1]

जीवन[संपादित करें]

सतगुरु रामपाल का जन्म भारतीय राज्य पंजाब ( वर्तमान हरियाणा)के सोनीपत जिले की गोहाना तहसील के धनाना गाँव में हुआ। उनके पिता भक्त नंदलाल एक किसान थे और उनकी माँ इन्द्रो देवी गृहिणी थीं।[2][3][4]

उन्होंने करणाल के निलोखेड़ी में इंड्सट्रियल ट्रैनिंग इंस्टीट्यूट से सिविल इंजिनियरिंग में डिप्लोमा प्राप्त किया। इसके बाद हरियाणा सरकार के सिंचाई विभाग में 18 वर्ष तक कनिष्ट अभियन्ता के रूप में काम किया।[5]

संत रामपाल जी ने विश्व कल्याण के लिए और परमात्म उपदेश के लिए सन् 1995 में जे. ई. की पोस्ट से त्यागपत्र दे दिया जो हरियाणा सरकार द्वारा 16 मई 2000 को पत्र संख्या - 3493500 में स्वीकृत हैं

रामपाल जी ने अनारो देवी के साथ विवाह किया जिससे दो पुत्र और दो पुत्रियाँ हैं।[4]

शिक्षा और नियम[संपादित करें]

जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज सभी धर्म के ग्रंथों का हवाला देते हुए कबीर साहेब जी को सभी देवी-देवताओं सहित संपूर्ण ब्रह्मांडों का उत्पत्तिकर्ता विभिन्न धर्म ग्रंथों से प्रमाणित करके बताते हैं और भक्ति को सभी सांसारिक कर्मों से श्रेष्ठ मानते हुए सभी भगवानों को छोड़कर एक कबीर परमात्मा की भक्ति हेतु प्रेरित करते हैं। बुराइयां त्यागने के लिए तथा समाज सुधार के लिए भी कुछ नियम बनाए है जिनको भक्ति मर्यादा कहते हैं। जैसे[1]

1. किसी नशीली वस्तु जैसे बीड़ी, सिगरेट, तम्बाकू, सुल्फी, गांजा, शराब, अंडा,मांस आदि का सेवन तो दूर किसी को लाकर भी नहीं देना।[1]

बन्दी छोड़ गरीबदास जी महाराज इन सभी नशीली वस्तुओं को बहुत बुरा बताते हुए अपनी वाणी में कहते हैं कि -

सुरापान मद्य मांसाहारी, गमन करै भोगैं पर नारी। सतर जन्म कटत हैं शीशं, साक्षी साहिब है जगदीशं।।

पर द्वारा स्त्राी का खोलै, सतर जन्म अंधा होवै डोलै। मदिरा पीवै कड़वा पानी, सत्तर जन्म श्वान के जानी।।

गरीब, हुक्का हरदम पिवते, लाल मिलावैं धूर। इसमें संशय है नहीं, जन्म पिछले सूर।।1।।

गरीब, सो नारी जारी करै, सुरा पान सौ बार। एक चिलम हुक्का भरै, डुबै काली धार।।2।।

गरीब, सूर गऊ कुं खात है, भक्ति बिहुनें राड। भांग तम्बाखू खा गए, सो चाबत हैं हाड।।3।।

गरीब, भांग तम्बाखू पीव हीं, सुरा पान सैं हेत। गौस्त मट्टी खाय कर, जंगली बनें प्रेत।।4।।

गरीब, पान तम्बाखू चाब हीं, नास नाक में देत। सो तो इरानै गए, ज्यूं भड़भूजे का रेत।।5।।

गरीब, भांग तम्बाखू पीवहीं, गोस्त गला कबाब। मोर मृग कूं भखत हैं, देगें कहां जवाब।।6।।

2. जुआ, ताश, चोरी, ठगी आदि नहीं करना।[1]

कबीर, मांस भखै और मद पिये, धन वेश्या सों खाय। जूआ खेलि चोरी करै, अंत समूला जाय।।

3. मृत्यु भोज, दहेज, दिखावे के नाम पर फिजूलखर्ची, मुंडन समाधि पूजन, पित्र पूजा, मूर्ति पूजा, अन्य भगवान की पूजा नहीं करना।[1]

किसी प्रकार की पितर पूजा, श्राद्ध निकालना आदि कुछ नहीं करना है। भगवान श्री कृष्ण जी ने भी इन पितरों की व भूतों की पूजा करने से साफ मना किया है। गीता जी के अध्याय नं. 9 के श्लोक नं. 25 में कहा है कि -

यान्ति, देवव्रताः, देवान्, पितृऋन्, यान्ति, पितृव्रताः।

भूतानि, यान्ति, भूतेज्याः, मद्याजिनः, अपि, माम्।

अनुवाद: देवताओं को पूजने वाले देवताओं को प्राप्त होते हैं पितरों को पूजने वाले पितरों को प्राप्त होते हैं भूतों को पूजने वाले भूतों को प्राप्त होते हैं और मतानुसार पूजन करने वाले भक्त मुझसे ही लाभान्वित होते हैं।

बन्दी छोड़ गरीबदास जी महाराज और कबीर साहिब जी महाराज भी कहते हैं:-

‘‘गरीब, भूत रमै सो भूत है, देव रमै सो देव। राम रमै सो राम है, सुनो सकल सुर भेव।।‘‘

इसलिए उस (पूर्ण परमात्मा) परमेश्वर की भक्ति करो जिससे पूर्ण मुक्ति होवे। वह परमात्मा पूर्ण ब्रह्म सतपुरुष (सत कबीर) है। इसी का प्रमाण गीता जी के अध्याय नं. 18 के श्लोक नं. 46 में है।

यतः प्रवृत्तिर्भूतानां येन सर्वमिदं ततम्।

स्वकर्मणा तमभ्यच्र्य सिद्धिं विन्दति मानवः।।46।।

अनुवाद: जिस परमेश्वरसे सम्पूर्ण प्राणियोंकी उत्पत्ति हुई है और जिससे यह समस्त जगत् व्याप्त है, उस परमेश्वरकी अपने स्वाभाविक कर्मोंद्वारा पूजा करके मनुष्य परमसिद्धिको प्राप्त हो जाता है।

गीता अध्याय नं. 18 का श्लोक नं. 62

तमेव शरणं गच्छ सर्वभावेन भारत।

तत्प्रसादात्परां शान्तिं स्थानं प्राप्स्यसि शाश्वतम्।।62।।

अनुवाद: हे भरतवंशोभ्द्रव अर्जुन! तू सर्वभावसे उस ईश्वरकी ही शरणमें चला जा। उसकी कृपासे तू परम शान्ति (संसारसे सर्वथा उपरति) को और अविनाशी परमपदको प्राप्त हो जायगा।

सर्वभाव का तात्पर्य है कि कोई अन्य पूजा न करके मन-कर्म-वचन से एक परमेश्वर में आस्था रखना।

गीता अध्याय नं. 8 का श्लोक नं. 22:

पुरुषः स परः पार्थ भक्त्या लभ्यस्त्वनन्यया।

यस्यान्तः स्थानि भूतानि येन सर्वमिदं ततम्।।22।।

अनुवाद: हे पृथानन्दन अर्जुन! सम्पूर्ण प्राणी जिसके अन्तर्गत हैं और जिससे यह सम्पूर्ण संसार व्याप्त है, वह परम पुरुष परमात्मा तो अनन्यभक्तिसे प्राप्त होनेयोग्य है।

अनन्य भक्ति का तात्पर्य है एक परमेश्वर (पूर्ण ब्रह्म) की भक्ति करना, दूसरे देवी-देवताओं अर्थात् तीनों गुणों (रजगुण-ब्रह्मा, सतगुण-विष्णु, तमगुण-शिव) की नहीं। गीता जी के अध्याय नं. 15 का श्लोक नं. 1 से 4:-

गीता अध्याय नं. 15 का श्लोक नं. 1

ऊध्र्वमूलम्, अधःशाखम्, अश्वत्थम्, प्राहुः, अव्ययम्,

छन्दांसि, यस्य, पर्णानि, यः, तम्, वेद, सः, वेदवित्।।1।।

अनुवाद: ऊपर को जड़ वाला नीचे को शाखा वाला अविनाशी विस्तृत संसार रूपी पीपल का वृक्ष है, जिसके छोटे-छोटे हिस्से या टहनियाँ, पत्ते कहे हैं, उस संसार रूप वृक्ष को जो इस प्रकार जानता है। वह पूर्ण ज्ञानी अर्थात् तत्वदर्शी है।

गीता अध्याय नं. 15 का श्लोक नं. 2

अधः, च, ऊध्र्वम्, प्रसृताः, तस्य, शाखाः, गुणप्रवृद्धाः, विषयप्रवालाः,

अधः, च, मूलानि, अनुसन्ततानि, कर्मानुबन्धीनि, मनुष्यलोके।।2।।

अनुवाद: उस वृक्षकी नीचे और ऊपर तीनों गुणों ब्रह्मा-रजगुण, विष्णु-सतगुण, शिव-तमगुण रूपी फैली हुई विकार काम क्रोध, मोह, लोभ, अहंकार रूपी कोपल डाली ब्रह्मा, विष्णु, शिव ही जीवको कर्मोमें बाँधने की भी जड़ें अर्थात् मूल कारण हैं तथा मनुष्यलोक, स्वर्ग, नरक लोक पृथ्वी लोक में नीचे (चैरासी लाख जूनियों में) ऊपर व्यस्थित किए हुए हैं


गीता अध्याय नं. 15 का श्लोक नं. 3

न, रूपम्, अस्य, इह, तथा, उपलभ्यते, न, अन्तः, न, च, आदिः, न, च,

सम्प्रतिष्ठा, अश्वत्थम्, एनम्, सुविरूढमूलम्, असङ्गशस्त्रोण, दृढेन, छित्वा।।3।।

अनुवाद: इस रचना का न शुरूवात तथा न अन्त है न वैसा स्वरूप पाया जाता है तथा यहाँ विचार काल में अर्थात् मेरे द्वारा दिया जा रहा गीता ज्ञान में पूर्ण जानकारी मुझे भी नहीं है क्योंकि सर्वब्रह्मण्डों की रचना की अच्छी तरह स्थिति का मुझे भी ज्ञान नहीं है इस अच्छी तरह स्थाई स्थिति वाला मजबूत स्वरूपवाले निर्लेप तत्वज्ञान रूपी दृढ़ शस्त्रा से अर्थात् निर्मल तत्वज्ञान के द्वारा काटकर अर्थात् निरंजन की भक्ति को क्षणिक जानकर। (3)

गीता अध्याय नं. 15 का श्लोक नं. 4

ततः पदं तत्परिमार्गितव्यं यस्मिन्गता न निवर्तन्ति भूयः। तमेव चाद्यं पुरुषं प्रपद्ये यतः प्रतृत्ति प्रसृता पुराणी।।4।।

अनुवाद: उसके बाद उस परमपद परमात्मा की खोज करनी चाहिये। जिसको प्राप्त हुए मनुष्य फिर लौटकर संसार में नहीं आते और जिससे अनादिकालसे चली आनेवाली यह सृष्टि विस्तारको प्राप्त हुई है, उस आदि पुरुष परमात्माके ही मैं शरण हूँ।

इस प्रकार स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने इन्द्र जो देवी-देवताओं का राजा है कि पूजा भी छुड़वा कर उस परमात्मा की भक्ति करने के लिए ही प्रेरणा दी थी। जिस कारण उन्होंने गोवर्धन पर्वत को उठाकर इन्द्र के कोप से ब्रजवासियों की रक्षा की।

गरीब, इन्द्र चढ़ा ब्रिज डुबोवन, भीगा भीत न लेव।

इन्द्र कढाई होत जगत में, पूजा खा गए देव।।

कबीर, इस संसार को, समझाऊँ कै बार।

पूँछ जो पकड़ै भेढ की, उतरा चाहै पार।।


4. एक कबीर परमात्मा के अलावा अन्य देवी देवताओं की पूजा नहीं करना ।[1]

5. अश्लील गाने गाना, नाचना, व्याभिचार आदि पूर्णतया वर्जित बताते हैं।[1] व्याभीचार निषेध:

पराई स्त्राी को माँ-बेटी-बहन की दृष्टि से देखना चाहिए। व्याभीचार महापाप है। जैसे:--

गरीब, पर द्वारा स्त्राी का खोलै। सत्तर जन्म अन्धा हो डोलै।।

सुरापान मद्य मांसाहारी। गवन करें भोगैं पर नारी।।

सत्तर जन्म कटत हैं शीशं। साक्षी साहिब है जगदीशं।।

पर नारी ना परसियों, मानो वचन हमार। भवन चर्तुदश तास सिर, त्रिलोकी का भार।।

पर नारी ना परसियो, सुनो शब्द सलतंत। धर्मराय के खंभ से, अर्धमुखी लटकंत।।

6.अनावश्यक दान निषेध:

कहीं पर और किसी को दान रूप में कुछ नहीं देना है। न पैसे, न बिना सिला हुआ कपड़ा आदि कुछ नहीं देना है। यदि कोई दान रूप में कुछ मांगने आए तो उसे खाना खिला दो, चाय, दूध, लस्सी, पानी आदि पिला दो परंतु देना कुछ भी नहीं है। न जाने वह भिक्षुक उस पैसे का क्या दुरूपयोग करे। जैसे एक व्यक्ति ने किसी भिखारी को उसकी झूठी कहानी जिसमें वह बता रहा था कि मेरे बच्चे ईलाज बिना तड़फ रहे हैं। कुछ पैसे देने की कृपा करें को सुनकर भावनावस होकर 100 रु दे दिए। वह भिखारी पहले पाव शराब पीता था उस दिन उसने आधा बोतल शराब पीया और अपनी पत्नी को पीट डाला। उसकी पत्नी ने बच्चों सहित आत्म हत्या कर ली। आप द्वारा किया हुआ वह दान उस परिवार के नाश का कारण बना। यदि आप चाहते हो कि ऐसे दुःखी व्यक्ति की मदद करें तो उसके बच्चों को डाॅक्टर से दवाई दिलवा दें, पैसा न दें।

कबीर, गुरु बिन माला फेरते, गुरु बिन देते दान। गुरु बिन दोनों निष्फल हैं, पूछो वेद पुरान।।

7.माता मसानी पूजना निषेध:

आपने खेत में बनी मंढी या किसी खेड़े आदि की या किसी अन्य देवता की समाध नहीं पूजनी है। समाध चाहे किसी की भी हो बिल्कुल नहीं पूजनी है। अन्य कोई उपासना नहीं करनी है। यहाँ तक कि तीनों गुणों (ब्रह्मा, विष्णु, शिव) की पूजा भी नहीं करनी है। केवल गुरु जी के बताए अनुसार ही करना है।

गीता अध्याय नं. 7 का श्लोक नं. 15

न, माम्, दुष्कृतिनः, मूढाः, प्रपद्यन्ते, नराधमाः,

मायया, अपहृतज्ञानाः, आसुरम्, भावम्, आश्रिताः।।

अनुवाद: मायाके द्वारा जिनका ज्ञान हरा जा चुका है ऐसे आसुर स्वभावको धारण किये हुए मनुष्य नीच दुषित कर्म करनेवाले मूर्ख मुझको नहीं भजते अर्थात् वे तीनों गुणों (रजगुण-ब्रह्मा, सतगुण-विष्णु, तमगुण-शिव) की साधना ही करते रहते हैं। कबीर, माई मसानी शेढ शीतला, भैरव भूत हनुमंत। परमात्मा उनसे दूर है, जो इनको पूजंत।। कबीर, सौ वर्ष तो गुरु की सेवा, एक दिन आन उपासी। वो अपराधी आत्मा, परै काल की फांसी।। गुरु को तजै भजै जो आना। ता पसुवा को फोकट ज्ञाना।।


संत रामपाल जी महाराज के अनुयाई विशेष तौर पर उनके ज्ञान से आकर्षित होते हैं, जो सर्व धर्मो के ग्रंथों के ज्ञान के अनुकूल है। उनके अधिकतर अनुयाइयों का कहना है कि हमने संत द्वारा बताए ज्ञान को सद्ग्रंथों में मिलाया, तब हूबहू अपने धार्मिक ग्रंथों में पाया, उसके बाद हम उनसे जुड़े। हालांकि ज्ञान ही ऐसा विषय है जिसके कारण अधिकतर आर्य समाजी विरोध करते हैं।[6] संत रामपाल जी महाराज ने अपने ज्ञान से दुनिया को परमेश्वर से अवगत कराने के लिए ज्ञान गंगा, जीने की राह, गीता तेरा ज्ञान अमृत, गरीमा गीता की, गहरी नज़र गीता में, हिन्दू साहेबान नहीं समझे वेद/ पुराण, मुसलमान भाईजान नहीं समझे ज्ञान कुरआन आदि पुस्तकें भी लिखी है।[6]

भविष्यवाणीयां[संपादित करें]

संत रामपाल के अनुयायियों का कहना है कि दुनिया भर के कई भविष्यवक्ताओं की भविष्यवाणियां संत रामपाल जी पर सटीक बैठती हैं[7] कि वे महामानव के रूप में जाने जाएंगे। जिनमें कुछ निम्न हैं-[8]

  • जयगुरुदेव पंथ के तुलसी साहेब ने ७ सितंबर १९७१ को कहा कि जिस महापुरुष का हमें इंतजार है वह आज २० वर्ष का हो चुका है। उस दिन संत रामपाल जी की उम्र २० वर्ष हुई थी।[9]
  • नॉस्त्रेदमस ने कहा था कि २००६ में एक संत अचानक प्रकाश में आएगा जो पहले उपेक्षा का पात्र बनेगा लेकिन बाद में दुनिया सर आंखों पर बिठाएगी।[10]
  • इसी तरह अन्य भविष्यवक्ताओं जैसे अमेरिका की विश्व विख्यात भविष्यवक्ता फ्लोरेंस, इंग्लैंड के ज्योतिषी ‘कीरो‘, हंगरी की महिला ज्योतिषी “बोरिस्का” आदि की भविष्यवाणियों को संत रामपाल जी पर सटीक बैठने का दावा किया जाता है।[11]

विवाद[संपादित करें]

सन् २००६ में संत रामपाल ने सार्वजनिक तौर पर सत्यार्थ प्रकाश के कुछ भागों पर आपत्ति जताई थी।[12]

सत्यार्थ प्रकाश के अध्याय और पृष्ट न बताकर उसमें लिखी बातों की जनता को जानकारी देते थे । संत जी कहते थे इस सत्यार्थ प्रकाश पुस्तक में बहुत सी बहुदी, फ़ूहड़ बातें लिखी होने के कारण यह पुस्तक पढ़ने लाइक नहीं है। फिर आप लोग इस पुस्तक को क्यों पढ़ रहे हो। परमात्मा का ज्ञान प्राप्त करने के लिए "ज्ञान गंगा " पुस्तक पढ़ें।

इससे गुस्साए आर्य समाज के हजारों समर्थको ने १२ जुलाई२००६ को करौथा के सतलोक आश्रम का घेराव कर लिया व हमला किया।[13] बचाव में सतलोक आश्रम के अनुयायियों ने पलटवार नही किया। लेकिन उनके(आर्य समाजी यों)द्वारा मचाई गई भगदड़ में सोनू नामक एक आर्य समाजी अनुयायी की हत्या हो गई।[13] जिसमें संत रामपाल दास जी के विरुद्ध हत्या का झूठा केस चलाया गया व उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।[13] कुछ महीने जेल में बिताने के बाद, २००८ में इन्हें ज़मानत पर रिहा कर दिया गया।

इस मामले मे 20 दिसंबर 2022 अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश राकेश सिंह की कोर्ट ने संत रामपाल जी सहित 24 आरोपियों को बरी कर दिया।[14]


इस केस से संत रामपाल जी पर केस करने की शुरुआत हुई जो आज तक नहीं रूकी।झूठे केस में फंसाकर कैसे जीवन का नाश करते हैं इसका अच्छा उदाहरण है ये केस ।।

नवंबर २०१४ में पुनः कोर्ट ने इन्हें गिरफ्तार करने का आदेश दिया। लेकिन सतलोक आश्रम बरवाला में हज़ारों समर्थकों की मौजुदगी के कारण पुलिस इन्हें गिरफ्तार नहीं कर सकी।[15] १९ नवंबर २०१४ को समर्थकों व पुलिस के बीच हुई हिंसा के बाद इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।[15] इस हिंसा में ५ महिलाओं और १ बालक की मृत्यु हुई जिनका मुकदमा संत रामपाल दास पर बनाया गया। ये बंधक बनाने के मुकदमे में २९ अगस्त २०१७ को बरी हो गए[16][17] लेकिन देशद्रोह के मुकदमे के कारण जेल में ही हैं।[15] ११अक्टूबर २०१८ को हिसार कोर्ट द्वारा इन्हें तथा इनके कुछ अनुयायियों को बरवाला की घटना में हुई हत्याओं का दोषी करार कर दिया गया एवं आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। कैस हाईकोर्ट में विचाराधीन है।अनुयायियों का कहना है कि ये हत्याये पुलिस द्वारा चलाए गये आंसु गैस से हुई है हमारे परिवार के लोगों की हत्या की गई और हमें ही सजा दी गई ताकि कोई पूछ ना सके की आप(पुलिस) ने ६ लोगों को क्यों मारा।[18] जज वेद प्रकाश सिरोही, सेशन जज हिसार द्वारा 26 जुलाई 2021 को संत रामपाल दास जी सहित 4 अनुयायियों जिनमें डॉक्टर ओम प्रकाश सिंह हुड्डा, राजेंदर, बलजीत, बिजेन्दर शामिल हैं को केस नम्बर 5, ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत कोई भी साक्ष्य न होने के कारण एवं आरोपों के बेबुनियाद साबित करते हुए उन्हें बाइज्जत बरी किया है।[19][20]

  1. "गुरु दीक्षा के नाम पर रामपाल के थे 11 अजीबो गरीब नियम". m.jagran.com. अभिगमन तिथि 2021-06-29.
  2. सिंह (14 मई 2013). "Rampal and his religious engineering". हिन्दुस्तान टाइम्स. मूल से 29 नवम्बर 2014 को पुरालेखित.
  3. "Who is godman Sant Rampal". मिंट. मूल से 21 नवम्बर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 अप्रैल 2023.
  4. वरिन्दर भाटिया; दीपांकर घोसे (23 नवम्बर 2014). "Sant Rampal: From the most followed, to the most wanted". इंडियन एक्सप्रेस. मूल से 23 नवम्बर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 अप्रैल 2023.
  5. "From a junior engineer to a brazen baba". हिन्दुस्तान टाइम्स (अंग्रेज़ी में). 2014-11-21. मूल से 18 मार्च 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2023-04-29.
  6. "गीता फोगाट ने ट्वीटर पर दिया ज्ञान, लोगों ने कहा, संत रामपाल की किताब पढ़िए ज्ञान बढ़ेगा!". Jansatta. 2017-08-23. अभिगमन तिथि 2021-06-25.
  7. "नास्त्रेदमस व अन्य भविष्यवक्ताओं की भविष्यवाणियां-नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी 2020". S A NEWS (अंग्रेज़ी में). 2020-01-19. अभिगमन तिथि 2021-08-02.
  8. "Twitterati Wonder if Nostradamus Had Predicted Indian Self-Styled Saint #Rampal". sputniknews.com (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2021-06-25.
  9. "तुलसीदास महाराज, जय गुरुदेव - इटावा ज़िला यह क्या है |". ww.in.freejournal.info. मूल से 25 जून 2021 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2021-06-25.
  10. "रामपाल दास कहता था कि नास्त्रेदमस ने की थी उसके अवतार लेने की भविष्यवाणी". News18 Hindi. अभिगमन तिथि 2021-06-25.
  11. "11 reasons why Saint RampalJi Maharaj is trending Number 1 on Twitter". Asianet News Network Pvt Ltd (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2021-06-25.
  12. "Rohtak clash: Sant Rampal triggered it". मूल से 20 जुलाई 2019 को पुरालेखित.
  13. "Krontha incident". मूल से 10 जुलाई 2019 को पुरालेखित.
  14. Awasthi, Ashwani (2022-12-20). "सतलोक आश्रम मामले में कथित संत रामपाल समेत 24 आरोपित कोर्ट से बरी | Hari Bhoomi". www.haribhoomi.com. अभिगमन तिथि 2022-12-22.
  15. "Sant Rampal acquitted in two criminal cases". मूल से 2 सितंबर 2017 को पुरालेखित.
  16. "संत रामपाल दो मामलों में बरी, रहेंगे जेल में". BBC News हिंदी. अभिगमन तिथि 2021-06-25.
  17. "सतलोक आश्रम के प्रमुख संत रामपाल दास बरी, लोगों को बंधक बनाने का था आरोप". आज तक. अभिगमन तिथि 2021-06-25.
  18. "Sant Rampal, 14 others sentenced to life for murder of four women".
  19. "ड्रग्स एवं कॉस्मेटिक केस में संत रामपाल जी सहित पांच अनुयायी हुए बरी | SA News". S A NEWS (अंग्रेज़ी में). 2021-07-27. अभिगमन तिथि 2021-08-17.
  20. "हरियाणाः हिसार कोर्ट ने इस मामले में रामपाल दास समेत 5 को बरी किया, 7 साल पहले हुए थे गिरफ्तार". आज तक. अभिगमन तिथि 2021-08-17.