लिंग अनुपात

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देश के अनुसार मानव लिंगानुपात दर्शाने वाला मानचित्र।[1]
██ ऐसे देश जहां महिलाओं की तुलना में पुरुषों की संख्या अधिक है। ██ पुरुषों और महिलाओं की समान संख्या वाले देश (यह देखते हुए कि अनुपात 3 महत्वपूर्ण आंकड़े है, यानी, 1.00 पुरुष प्रति पर 1.00 महिलाएँ)। ██ ऐसे देश जहाँ पुरुषों की तुलना में महिलाएँ अधिक हैं। ██ कोई आंकड़ा नहीं।

लिंगानुपात या लैंगिक अनुपात से तात्पर्य किसी जनसंख्या में पुरुषों और महिलाओं के अनुपात से है। लिंगानुपात की गणना अन्य प्रजातियों में भी की जाती है। मानवविज्ञानी और जनसांख्यिकीशास्त्री मनुष्यों के लिंगानुपात को जानने में बहुत रुचि रखते हैं। हालाँकि, जन्म के समय लिंग अनुपात की गणना मातृ आयु, चयनात्मक गर्भपात विकृति, शिशुहत्या के आधार पर की जाती है।

इन कारकों के कारण यह अत्यधिक पक्षपाती हैं। कीटनाशकों और अन्य पर्यावरणीय प्रदूषकों के संपर्क में आना लिंगानुपात को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण कारकों में से एक माना जा सकता है। 2014 की जनगणना में अनुमान लगाया गया कि जन्म के समय वैश्विक लिंगानुपात 107 लड़कों पर 100 लड़कियों (934 लड़कियों पर 1000 लड़कों) का है।

लिंगानुपात के प्रकार

अधिकांश प्रजातियों में लिंगानुपात प्रजातियों के जीवन काल अंतिम मध्यस्थ रूपरेखा के आधार पर भिन्न होता है।[2] इसे आम तौर पर चार उप-वर्गों में विभाजित किया गया है :

  1. प्राथमिक लिंगानुपात—गर्भधारण के समय लिंगानुपात।
  2. द्वितीयक लिंगानुपात—जन्म के समय लिंगानुपात।
  3. तृतीयक लिंगानुपात—संभोग के लिए उपयुक्त प्रजातियों का लिंगानुपात। जिसे वयस्क लिंगानुपात (एएसआर) भी कहा जाता है। वयस्क लिंगानुपात का तात्पर्य जनसंख्या में वयस्क पुरुषों के अनुपात से है।

इस अनुपात के अन्तर्गत उन जीवों का लिंग अनुपात जो प्रजनन चरण पार कर चुके हैं हालाँकि, स्पष्ट सीमाओं के अभाव के कारण उपरोक्त अनुपातों की गणना करना कठिन है।

फिशर का सिद्धांत

फिशर के सिद्धांत के अनुसार अधिकांश प्रजातियों में लिंग अनुपात लगभग 1:1 क्यों है? 1967 में, बिल हैमिल्टन ने अपने पत्र "असामान्य लिंग अनुपात" माता-पिता की देखभाल पुरुष और महिला दोनों संतानों के लिए समान है। फिशर के सिद्धांत को इस प्रकार समझाया :

  1. सबसे पहले, मान लिया जाए कि पुरुष जन्म महिला जन्म से कम है।
  2. इस माहौल में, नवजात नर के पास नवजात मादा की तुलना में संभोग की अधिक संभावना होती है। इसलिए, अधिक संतान पैदा होने की संभावना अधिक होती है।
  3. परिणामस्वरूप, नर बच्चों के निर्माण में सहायक जीन फैलते हैं और नर जन्मों की संख्या बढ़ जाती है।
  4. जैसे-जैसे लिंगानुपात लगभग 1:1 तक पहुँचता है, लड़कों के जन्मदर कम हो जाता है।
  5. भले ही उपरोक्त सभी स्थितियों में महिला जन्म को पुरुष जन्म के स्थान पर रखा जाए, फिर भी यही कारण लिंगानुपात को लगभग 1:1 करना संभव बनाते हैं। अत: लिंगानुपात 1:1 होगी।

आधुनिक संदर्भ में, 1:1 के लिंगानुपात को एक विकासात्मक रूप से स्थिर रणनीति माना जाता है

संदर्भ

  1. सीआईए वर्ल्ड फैक्टबुक से आंकड़े संग्रहीत।[1].2020 का आंकड़ा 2021 के मानचित्र में संकलित।
  2. Kvarnemo, Charlotta; Ahnesjö, Ingrid (2002). "Operational Sex Ratios and Mating Competition" (PDF). प्रकाशित Hardy, Ian C. W. (संपा॰). Sex Ratios: Concepts and Research Methods (PDF). Cambridge: Cambridge University Press. पपृ॰ 366–382. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780521818964. डीओआइ:10.1017/CBO9780511542053.019. अभिगमन तिथि 24 December 2022. नामालूम प्राचल |name-list-style= की उपेक्षा की गयी (मदद)