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कणाद

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कणाद
जन्म अस्पष्ट,६-४ बीसीई

कणाद एक ऋषि थे। वायुपुराण में उनका जन्म स्थान प्रभास पाटण बताया है,माना जाता है की कणाद सोम शर्मा के शिष्य थे /कणाद का असली नाम उलुकमुनि था आपके अनुसार विश्व सात पदार्थों में विभक्त है। स्वतंत्र भौतिक विज्ञानवादी दर्शन प्रकार के आत्मदर्शन के विचारों का सबसे पहले महर्षि कणाद ने सूत्र रूप में लिखा। ये "उच्छवृत्ति" थे और धान्य के कणों का संग्रह कर उसी को खाकर तपस्या करते थे। इसी लिए इन्हें "कणाद" या "कणभुक्" कहते थे। किसी का कहना है कि कण अर्थात् 'परमाणु तत्व' का सूक्ष्म विचार इन्होंने किया है, इसलिए इन्हें "कणाद" कहते हैं। किसी का मत है कि दिन भर ये समाधि में रहते थे और रात्रि को कणों का संग्रह करते थे। यह वृत्ति "उल्लू" पक्षी की है। किस का कहना है कि इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ईश्वर ने उलूक पक्षी के रूप में इन्हें शास्त्र का उपदेश दिया।

आधुनिक दौर में अणु विज्ञानी जॉन डाल्टन के भी हजारों साल पहले महर्षि कणाद ने यह रहस्य उजागर किया कि द्रव्य के परमाणु होते हैं।

उनके अनासक्त जीवन के बारे में यह रोचक मान्यता भी है कि किसी काम से बाहर जाते तो घर लौटते वक्त रास्तों में पड़ी चीजों या अन्न के कणों को बटोरकर अपना जीवनयापन करते थे। इसीलिए उनका नाम कणाद भी प्रसिद्ध हुआ।[1]

कण सिद्धान्त

भौतिक जगत की उत्पत्ति सूक्ष्मातिसूक्ष्म कण परमाणुओं के संघनन से होती है- इस सिद्धांत के जनक महर्षि कणाद थे।

गति के नियम

इसके अलावा महर्षि कणाद ने ही न्यूटन से पूर्व गति के तीन नियम बताए थे। [2]

वेगः निमित्तविशेषात कर्मणो जायते। वेगः निमित्तापेक्षात कर्मणो जायते नियतदिक क्रियाप्रबन्धहेतु। वेगः संयोगविशेषविरोधी॥ वैशेषिक दर्शन
अर्थात्‌ वेग या मोशन (motion) पांचों द्रव्यों पर निमित्त व विशेष कर्म के कारण उत्पन्न होता है तथा नियमित दिशा में क्रिया होने के कारण संयोग विशेष से नष्ट होता है या उत्पन्न होता है।

सन्दर्भ

  1. "बिग स्टोरी : हजारों साल पहले ऋषियों के आविष्कार, पढ़कर रह जाएंगे हैंरान". धर्म डेस्क. उज्जैन: दैनिक भास्कर. १२ अप्रैल २०१३. मूल से 16 अप्रैल 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १३ अप्रैल २०१३.
  2. परमाणु सिद्धांत के असली जनक तो ये हैं... (वेबदुनिया)

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

कणाद के अनुसार"किसी झरोखे से आती हुई रोशनी में उड़ते हुए कण का 16वां भाग परमाणु होता है"