रिपन
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द मोस्ट ऑनरेबल रॉबर्ट रिपनसन | |
रिपन
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कार्यकाल १८८० – १८८४ | |
शासक | विक्टोरिया |
पूर्व अधिकारी | लॉर्ड लिटण |
लॉर्ड रिपन ब्रिटिश काल मे भारत के वायसराय थे।
परिचय
[संपादित करें]लार्ड रिपन- वे इंग्लैंड के प्रधानमंत्री पुत्र थे.वे उदार,हवसी जनतांत्रिक चेतना वाला व्यक्ति था वो लिटन से ठीक विपरीत था, उसने भारत मे अपनाई गई लिटन की नीति को पलट दिया था वर्नाकुलर प्रेस एक्ट को रद्द कर दिया साथ ही अनेक प्रगतिशील उदार कदम उठाए। रिपन भारतीयो के प्रति अच्छी भावना रखते थे. वे भारत में शिक्षा में सुधार लाना चाहते थे.
रिपन भारतीयों के प्रति अच्छी भावना रखते थे
इन्हें स्थानीय स्वशासन का पिता भी कहा जाता था
भारत में व्हाईसरॉय के रुप मे कार्यकाल
[संपादित करें]- वर्णाकुलर प्रेेस अॅक्ट को खत्म किया.जो वाईसराय लिटन द्वारा बनाया गया था.यह कायदा भारतीय भाषा में अखबार छापने पर पाबंदी के लिये था।
- 1. पहली नियमित जनगणना (पहली जनगणना लार्ड मेयो के समय 1872 में हुई थी) उसके काल मे ही हुई थी 1881 इस से दशक्वार जनगणना का प्रारम्भ हुआ था।
- 2 .वित्तीय विकेंद्रिकरण हेतु उसने लोकवित्त को केन्द्र व प्रांत खंड मे बाँट दिया था।
- 3 .पहला फेक्टोरी एक्ट 1881 लाकर उसने श्रम विधि का प्रारम्भ किया, बाल श्रम का निषेध किया, निरीक्षको की नियुक्ति की गई।
- 4 .स्थानीय स्वशासन एक्ट 28 मई 1882 लाकर वो भारत मे स्थानीय स्वशासन का पिता भी बन गया था इस एक्ट द्वारा शहर व गाँव मे स्थानीय बोर्ड बने।
- 5.हंटर आयोग 1882 भारतीय शिक्षा के आधोनिकीकरण हेतु निउक्त किया गया जिसने जनशिक्षा क्षेत्र मे राज्य के उत्तरदायित्व पे बल दिया था उसकी शिफ़ारिश थी -
- 5.1 प्राथमिक शिक्षा को स्थानीय निकायों को सोंप दिया जाए।
5.2माध्यमिक शिक्षा के विकास हेतु अनुदानित स्कूल की प्रथा का विकास किया जाए।
- 5.3 महिला शिक्षा के उठान के लिए सुविधा दी जाए।
- 6 . इल्बर्ट बिल विवाद ये विवाद दीर्ग्काल से चल रहे भेदभाव को समाप्त करने का प्रयास था ये ब्रिटिश नस्लवाद की पराकास्था थी ये भारत के रास्त्र्वाद विकास मे महत्वपूर्ण भूमिका रखता है रिपन के सारे उदारवादी काम इस एक विवाद से छुप गए।