स्वदेस
स्वदेस: हम लोग | |
---|---|
स्वदेस का पोस्टर | |
निर्देशक | आशुतोष गोवरिकर |
लेखक | के॰ पी॰ सक्सेना (संवाद) |
पटकथा |
आशुतोष गोवारीकर समीर शर्मा अमीन हाजी शेर्लोट व्हिटबी-कोल्स यशदीप निगुड़कर अयान मुखर्जी |
कहानी |
एम॰ जी॰ सत्या आशुतोष गोवरिकर |
निर्माता |
आशुतोष गोवरिकर रोनी स्क्रूवाला देवेन खोटे जरीना मेहता |
अभिनेता |
शाहरुख़ ख़ान, गायत्री जोशी, किशोरी बलाल |
छायाकार | महेश अने |
संपादक | बल्लू सलुजा |
संगीतकार | ए॰ आर॰ रहमान |
निर्माण कंपनी |
आशुतोष गोवरिकर प्रोडक्शन्स |
वितरक | यूटीवी मोशन पिक्चर्स |
प्रदर्शन तिथियाँ |
17 दिसम्बर, 2004 |
लम्बाई |
203 मिनट |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
लागत | ₹21 करोड़ (US$3.07 मिलियन)[1] |
कुल कारोबार | ₹34.2 करोड़ (US$4.99 मिलियन)[2][3] |
स्वदेस 2004 में बनी हिन्दी भाषा की नाट्य फिल्म है, जिसका लेखन, निर्देशन और निर्माण आशुतोष गोवरिकर ने किया। यह एक अनिवासी भारतीय (एनआरआई) की सच्ची कहानी पर आधारित है जो अपनी मातृभूमि को लौटता है।[4] फिल्म में शाहरुख़ ख़ान, गायत्री जोशी, किशोरी बलाल प्रमुख भूमिकाओं में हैं, जिसमें दया शंकर पांडे, राजेश विवेक, लेख टंडन सहायक भूमिका में और मकरंद देशपांडे एक विशेष भूमिका में दिखाई दिये। रिलीज पर फिल्म को व्यापक आलोचनात्मक प्रशंसा मिली। संगीत जावेद अख्तर द्वारा लिखे गए गीतों के साथ ए॰ आर॰ रहमान ने बनाया था।
संक्षेप
[संपादित करें]मोहन भार्गव एक अनिवासी भारतीय है जो हजारों अन्य अनीवासी भारतीयों की तरह अमेरिका मे रहता है और नासा मे प्रोजेक्ट मैनेजर के तौर पर काम करता है। बरसों पहले वह अनाथ हो गया था और उसकी देखरेख एक दाई ने की थी जिसे वो मां समान मानता है। अचानक उसे उनकी याद आती है और वो उन्हें अमेरिका ले जाने आता है। पर वे जाने से मना कर देती हैं क्योंकी बर्फ की हस्ती होती है अपने पानी मे मिल जाना। मोहन गांव की परेशानियों से रूबरू होता है और बिजली की समस्या के लिये एक समाधान भी निकाल लेता है और उसे मूर्त रूप देता है। इन सब दौरान उसे बचपन की साथी गायत्री भी मिलती है जिससे उसे प्रेम हो जाता है। फिर वह नासा के काम से वापस अमेरिका चला जाता है। किन्तु वहां कार्य मे उसका मन नहीं लगता और वह नासा मे नौकरी छोड़ कर अपने गाँव आ जाता है और यहीं बस जाता है।
कहानी
[संपादित करें]मोहन भार्गव (शाहरुख़ ख़ान) एक भारतीय है जो संयुक्त राज्य अमेरिका में नासा में ग्लोबल प्रिसिपीटेशन मेजरमेंट (जीपीएम) प्रोग्राम में परियोजना प्रबंधक के रूप में काम करता है। वह उत्तर प्रदेश में अपने घर पर एक दाई माँ कावेरी अम्मा (किशोरी बलाल) के बारे में चिंता करता रहता है, जो बचपन के दिनों में उसकी देखभाल करती थी। उसके माता-पिता की मृत्यु के बाद, कावेरी अम्मा दिल्ली में एक वृद्धाश्रम में रहने चली गईं और मोहन से उनका संपर्क टूट गया। मोहन भारत जाना चाहता है और कावेरी अम्मा को अपने साथ वापस अमेरिका लाना चाहता है। वह कुछ हफ्तों की छुट्टी ले लेता है और भारत की यात्रा करता है। वह वृद्धाश्रम जाता है लेकिन उसे पता चलता है कि कावेरी अम्मा अब वहाँ नहीं रहती हैं और कुछ समय पहले चरणपुर नाम के एक गाँव में चली गई। मोहन फिर उत्तर प्रदेश में चरणपुर की यात्रा करने का फैसला करता है।
मोहन इस डर से गाँव तक पहुँचने के लिए शिविर के लिये उपयोग होने वाली एक वैन किराये पर ले लेता है कि उसे वहाँ शायद आवश्यक सुविधाएँ न मिलें। चरणपुर पहुँचने पर, वह कावेरी अम्मा से मिलता है और उसे पता चलता है कि यह उसके बचपन की दोस्त गीता (गायत्री जोशी) थी, जो अपने माता-पिता की मृत्यु के बाद अपने साथ रहने के लिए कावेरी अम्मा को ले आई थी। गीता चरणपुर में एक स्कूल चलाती है और शिक्षा के माध्यम से ग्रामीणों के जीवन स्तर में सुधार के लिए कड़ी मेहनत करती है। हालाँकि, गाँव जातिवाद और रूढ़िवादी मान्यताओं से ग्रस्त है। गीता को मोहन का आना पसंद नहीं है क्योंकि उसे लगता है कि वह उसे और उसके छोटे भाई चीकू को अकेला छोड़कर कावेरी अम्मा को अपने साथ वापस अमेरिका ले जाएगा। कावेरी अम्मा, मोहन से कहती है कि उन्हें पहले गीता की शादी करने की जरूरत है, और यह उनकी जिम्मेदारी है। गीता महिला सशक्तीकरण और लैंगिक समानता के लिये अभियान चलाई रहती है। मोहन, गीता की पिछड़े समुदायों और लड़कियों के बीच शिक्षा अभियान चलाकर मदद करने की कोशिश करता है।
धीरे-धीरे मोहन और गीता के बीच प्यार पनपता है। कावेरी अम्मा मोहन को कोडी नाम के गाँव जाने और हरिदास नाम के एक व्यक्ति से पैसे वसूल करके लाने को कहती हैं, जो गीता की जमीन किराये पर ले रखा है। मोहन कोडी का दौरा करता है और वहाँ देखता है कि हरिदास अपने परिवार को हर रोज भोजन उपलब्ध कराने में भी असमर्थ है। हरिदास की मुहताज स्थिति को देखकर मोहन सहानुभूति महसूस करता है। हरिदास ने मोहन से कहा कि चूँकि उसके जातिगत पेशे, बुनकरी से उसे कोई पैसा नहीं मिल रहा था, वह किराये पर खेती करने लगा। लेकिन पेशे में इस बदलाव के कारण गाँव से उसका बहिष्कार हो गया और गाँव वालों ने उसे उसकी फसलों के लिए पानी देने से भी मना कर दिया। मोहन इस दयनीय स्थिति को समझता है और महसूस करता है कि भारत के कई गाँव अब भी कोडी की तरह हैं। वह भारी मन से चरणपुर लौटता है और उसके कल्याण के लिए कुछ करने का फैसला करता है।
मोहन अपनी छुट्टी तीन और हफ्तों के लिये बढ़ा लेता है। उसे पता चलता है कि चरणपुर में बिजली न आना और लगातार कटौती एक बड़ी समस्या है। उसने पास के जल स्रोत से एक छोटी पनबिजली उत्पादन सुविधा स्थापित करने का निर्णय लिया। मोहन अपने स्वयं के धन से आवश्यक सभी उपकरण खरीदता है और बिजली उत्पादन इकाई का निर्माण खुद करता है। इकाई काम करने लगती है और गाँव को पर्याप्त, बिना रुकावट के बिजली मिलने लगती है।
हालाँकि, मोहन को बार-बार नासा के अधिकारियों द्वारा बुलाया जाता है क्योंकि नासा परियोजना जिस पर वह काम कर रहा था वह आखिरी चरणों में पहुँच रही है। उसे जल्द ही अमेरिका लौटना होता है। कावेरी अम्मा उसे बताती हैं कि वह चरणपुर में रहना पसंद करेंगी क्योंकि उनके लिए अब इस उम्र एक नए देश के तौर-तरीके सीखना मुश्किल होगा। गीता भी उसे बताती है कि वह किसी दूसरे देश में नहीं बसना चाहती और अगर मोहन उसके साथ भारत में रहेगा तो उसे अच्छा लगेगा। मोहन परियोजना को पूरा करने के लिए भारी मन से अमेरिका लौटता है। हालाँकि, अमेरिका में, वह भारत में बिताए अपने समय को याद करता है और वापस जाने की इच्छा रखता है। अपनी परियोजना के सफल समापन के बाद, वह अमेरिका छोड़ देता है और विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में काम करने के इरादे से भारत लौटता है, जहां से वह नासा के साथ भी काम कर सकता है। अंत में दिखाया जाता है कि मोहन गाँव में रह रहा है और मंदिर के पास कुश्ती लड़ रहा है।
मुख्य कलाकार
[संपादित करें]- शाहरुख़ ख़ान — मोहन भार्गव
- गायत्री जोशी — गीता
- किशोरी बलाल — कावेरी अम्मा
- दया शंकर पांडे — मेलाराम
- लेख टंडन — दादाजी
- राजेश विवेक — निवारण
- स्मित सेठ — चीकू
- विष्णुदत्त गौर — विष्णुदत्त
- फ़ारुख़ ज़फ़र — फातिमा
- बचन पचेरा — हरिदास
- राजा अवस्थी — पंच गुंगादिन
- विश्व बदोला — पंच मुनीश्वर
- मकरंद देशपांडे — फकीर
- राहुल वोहरा — विनोद
- पीटर रॉली — जॉन
- राजेश बलवानी — राहुल
संगीत
[संपादित करें]सभी गीत जावेद अख्तर द्वारा लिखित; सारा संगीत ए॰ आर॰ रहमान द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
---|---|---|---|
1. | "ये तारा वो तारा" | उदित नारायण, बालक विग्नेश, बालिका पूजा | 7:11 |
2. | "साँवरिया साँवरिया" | अलका याज्ञिक | 5:17 |
3. | "यूँ ही चला चल" | उदित नारायण, कैलाश खेर, हरिहरन | 7:27 |
4. | "आहिस्ता आहिस्ता" | उदित नारायण, साधना सरगम | 6:48 |
5. | "ये जो देस है तेरा" | ए॰ आर॰ रहमान | 6:27 |
6. | "पल पल है भारी" | मधुश्री, विजय प्रकाश, आशुतोष गोवरिकर | 6:49 |
7. | "जरा देखों ना" | अलका याज्ञिक, उदित नारायण | 5:45 |
8. | "पल पल है भारी" (बांसुरी) | N/A | 3:38 |
9. | "ये जो देस है तेरा" (शहनाई) | N/A | 3:53 |
नामांकन और पुरस्कार
[संपादित करें]वर्ष | नामित कार्य | पुरस्कार | परिणाम |
---|---|---|---|
2004 | उदित नारायण ("ये तारा वो तारा") | राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार - सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक पुरस्कार | जीत |
वर्ष | नामित कार्य | पुरस्कार | परिणाम |
---|---|---|---|
2005 | आशुतोष गोवरिकर | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार | नामित |
आशुतोष गोवरिकर | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पुरस्कार | नामित | |
शाहरुख़ ख़ान | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार | जीत | |
ए॰ आर॰ रहमान | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीतकार पुरस्कार | नामित | |
उदित नारायण ("ये तारा वो तारा") | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक पुरस्कार | नामित | |
अलका याज्ञिक ("साँवरिया साँवरिया") | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका पुरस्कार | नामित | |
जावेद अख्तर ("ये तारा वो तारा") | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ गीतकार पुरस्कार | नामित |
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Swades - Starring Shahrukh Khan, Gayatri Joshi, Kishori Ballal, Dayashanker Pandey, Rajesh Vivek. Swades's box office, news, reviews, video, pictures, and music soundtrack Archived 2014-08-12 at archive.today. Ibosnetwork.com. Retrieved on 2015-03-30.
- ↑ Boxofficeindia.com. Web.archive.org (2013-10-14). Retrieved on 2015-03-30.
- ↑ Boxofficeindia.com. Web.archive.org (2013-09-26). Retrieved on 2015-03-30.
- ↑ "सुशांत की 'चंदा मामा दूर के' नहीं, शाहरुख की 'स्वदेश' है नासा में फिल्माई गई पहली बॉलिवुड फिल्म". मूल से 2 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 अगस्त 2017.