हरिवंश राय बच्चन
हरिवंश राय बच्चन | |
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जन्म | हरिवंश 27 नवम्बर 1907 इलाहबाद, संयुक्त अवध एवं आगरा प्रांत, ब्रितानी भारत (अब उत्तर प्रदेश, भारत) |
मौत | 18 जनवरी 2003 मुम्बई, महाराष्ट्र, भारत |
पेशा | कवि, लेखक, प्राध्यापक |
भाषा | अवधी, हिन्दी |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
उच्च शिक्षा | इलाहाबाद विश्वविद्यालय सेन्ट कैथेराइन कॉलेज, कैम्ब्रिज |
खिताब | पद्मभूषण (1976 में) |
जीवनसाथी | श्यामा (1926–1936) तेजी बच्चन (1941–2007) |
बच्चे | अमिताभ बच्चन, अजिताभ बच्चन |
रिश्तेदार | बच्चन परिवार |
हस्ताक्षर |
हरिवंश राय बच्चन (27 नवम्बर 1907 – 18 जनवरी 2003) हिंदी भाषा के एक कवि और लेखक थे। वे हिन्दी कविता के उत्तर छायावाद काल के प्रमुख कवियों में से एक थे । उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति मधुशाला है। भारतीय फिल्म उद्योग के अभिनेता अमिताभ बच्चन उनके सुपुत्र हैं। उनका निधन 18 जनवरी 2003 के दिन, साँस की बीमारी के कारण, मुम्बई में हुआ था।
उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी का अध्यापन किया। बाद में भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में हिन्दी विशेषज्ञ रहे। अनन्तर राज्य सभा के मनोनीत सदस्य रहे। बच्चन जी की गिनती हिन्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय कवियों में होती है।
जीवन
[संपादित करें]हरिवंश राय बच्चन जी का जन्म 27 नवम्बर 1907
को प्रयाग में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। हरिवंश राय बच्चन के पूर्वज मूलरूप से अमोढ़ा (उत्तर प्रदेश) के निवासी थे। यह एक कायस्थ परिवार था। कुछ कायस्थ परिवार इस स्थान को छोड़ कर प्रयाग जा बसे थे। इनके पिता का नाम प्रताप नारायण श्रीवास्तव तथा माता का नाम सरस्वती देवी था। इनको बाल्यकाल में 'बच्चन' कहा जाता था जिसका शाब्दिक अर्थ 'बच्चा' या 'संतान' होता है। बाद में ये इसी नाम से प्रसिद्ध हुए। उन्होंने कायस्थ पाठशाला में पहले उर्दू और फिर हिंदी की शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम॰ए॰ और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य के विख्यात कवि डब्लू॰बी॰ यीट्स की कविताओं पर शोध कर पीएच.डी.(Ph.D) पूरी की थी । १९२६ में १९ वर्ष की उम्र में उनका विवाह श्यामा बच्चन से हुआ जो उस समय १४ वर्ष की थीं। सन १९३६ में टीबी के कारण श्यामा की मृत्यु हो गई। पाँच साल बाद १९४१ में बच्चन ने एक पंजाबन तेजी सूरी से विवाह किया जो रंगमंच तथा गायन से जुड़ी हुई थीं। इसी समय उन्होंने 'नीड़ का निर्माण फिर' जैसी कविताओं की रचना की। उनके पुत्र अमिताभ बच्चन एक प्रसिद्ध अभिनेता हैं।
मृत्यु
[संपादित करें]2002 के सर्दियों के महीने से उनका स्वस्थ्य बिगड़ने लगा। 2003 के जनवरी से उनको सांस लेने में दिक्कत होने लगी।कठिनाइयां बढ़ने के कारण उनकी मृत्यु 18 जनवरी 2003 में सांस की बीमारी के वजह से मुंबई में हो गयी।
प्रमुख कृतियाँ
[संपादित करें]कविता संग्रह
[संपादित करें]- तेरा हार (1929)[1],
- मधुशाला (1935),
- मधुबाला (1936),
- मधुकलश (1937),
- आत्म परिचय (1937)[2],
- निशा निमंत्रण (1938),
- एकांत संगीत (1939),
- आकुल अंतर (1943),
- सतरंगिनी (1945),
- हलाहल (1946),
- बंगाल का काल (1946),
- खादी के फूल (1948),
- सूत की माला (1948),
- मिलन यामिनी (1950),
- प्रणय पत्रिका (1955),
- धार के इधर-उधर (1957),
- आरती और अंगारे (1958),
- बुद्ध और नाचघर (1958),
- त्रिभंगिमा (1961),
- चार खेमे चौंसठ खूंटे (1962),
- दो चट्टानें (1965),
- बहुत दिन बीते (1967),
- कटती प्रतिमाओं की आवाज़ (1968),
- उभरते प्रतिमानों के रूप (1969),
- जाल समेटा (1973)
- नई से नई-पुरानी से पुरानी (1985)
काव्य संग्रह
- क्या भूलूँ क्या याद करूँ (1969),
- नीड़ का निर्माण फिर (1970),
- बसेरे से दूर (1977),
- दशद्वार से सोपान तक (1985)
- प्रवासी की डायरी
विविध
[संपादित करें]- बच्चन के साथ क्षण भर (1934),
- खय्याम की मधुशाला (1938),
- सोपान (1953),
- मैकबेथ (1957),
- जनगीता (1958),
- ओथेलो (1959),
- उमर खय्याम की रुबाइयाँ (1959),
- कवियों में सौम्य संत: पंत (1960),
- आज के लोकप्रिय हिन्दी कवि: सुमित्रानंदन पंत (1960),
- आधुनिक कवि (1961),
- नेहरू: राजनैतिक जीवनचरित (1961),
- नये पुराने झरोखे (1962),
- अभिनव सोपान (1964)
- चौंसठ रूसी कविताएँ (1964)
- नागर गीता (1966),
- बच्चन के लोकप्रिय गीत (1967)
- डब्लू बी यीट्स एंड अकल्टिज़म (1968)
- मरकत द्वीप का स्वर (1968)
- हैमलेट (1969)
- भाषा अपनी भाव पराये (1970)
- पंत के सौ पत्र (1970)
- प्रवास की डायरी (1971)
- किंग लियर (1972)
- टूटी छूटी कड़ियाँ (1973)[3]
पुरस्कार/सम्मान
[संपादित करें]उनकी कृति दो चट्टानें को 1968 में हिन्दी कविता के साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसी वर्ष उन्हें सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार तथा एफ्रो एशियाई सम्मेलन के कमल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। बिड़ला फाउण्डेशन ने उनकी आत्मकथा के लिए उन्हें सरस्वती सम्मान दिया था। बच्चन को भारत सरकार द्वारा 1976 में साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
बच्चन जी से संबंधित पुस्तकें
[संपादित करें]हरिवंश राय बच्चन पर अनेक पुस्तकें लिखी गई हैं। इनमें उनपर हुए शोध, आलोचना एवं रचनावली शामिल हैं। बच्चन रचनावली (1983) के नौ खण्ड हैं। इसका संपादन अजितकुमार ने किया है। अन्य उल्लेखनीय पुस्तकें हैं- हरिवंशराय बच्चन (बिशन टण्डन) गुरुवर बच्चन से दूर (अजितकुमार)
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ हिन्दी के गौरव:हरिवंश बच्चन Archived 2016-06-30 at the वेबैक मशीन, हिन्दी भवन की वेबसाइट पर ('टिप्पणी: यहाँ स्पष्ट रूप से नहीं लिखा कि यह तेरा हार नामक रचना 1929 में छपी थी किन्तु यह पहली रचना थी और रचना-यात्रा की शुरूआत 1929 में हुई लिखित है अतः यह माना जा सकता है कि इस रचना का प्रकाशन 1929 में हुआ)।
- ↑ Abhijot हरिवंश राय बच्चन – कवि परिचय : आत्म-परिचय और एक गीत इस कविता में कवि हरिवंशराय बच्चन ने अपने स्वभाव एवं व्यक्तित्व के बारे में बताया है। कवि जग के जीवन से जुड़ा भी है और इससे पृथक् भी है। वह इस संसार का भार लिए हुए फिरता है लेकिन उसके जीवन में प्यार की भावना भी है।
- ↑ Jośī, Jīvanaprakāśa (1976). Gadyakāra Baccana. Sanmārga Prakāśana. अभिगमन तिथि 9 दिसम्बर 2021.
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- हरिवंशराय बच्चन वेबदुनिया पर हरिवंशराय बच्चन के बारे में
- हरिवंश राय बच्चन की रचनाएँ कविता कोश में
- दशद्वार से सोपान तक (बच्चन जी की आत्मकथा ; गूगल पुस्तक)
- हरिवंश राय बच्चन द्वारा प्रेरणादायक रचनाएँ (कविता दुनिया पर)