पुरुष प्रजनन तंत्र
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पुरुष प्रजनन प्रणाली में कई यौन अंग होते हैं जो मानव प्रजनन की प्रक्रिया में भूमिका निभाते हैं। ये अंग शरीर के बाहर और पेड़ू के भीतर स्थित होते हैं। मुख्य पुरुष यौन अंग लिंग और अंडकोष हैं जो वीर्य और शुक्राणु का उत्पादन करते हैं। ये शुक्राणु संभोग के पश्चात महिला के शरीर में एक डिंब को निषेचित करते हैं। निषेचित डिंब (जाइगोट) एक भ्रूण में विकसित होकर बाद में एक शिशु के रूप में पैदा होता है।
बाह्य जनन अंग
[संपादित करें]लिंग
[संपादित करें]लिंग पुरुष का अंतर्मुख अंग है। इसमें एक लंबा शाफ्ट और एक बड़ा बल्बनुमा टिप होता है जिसे ग्लान्स लिंग कहा जाता है, जो चमड़ी द्वारा ढ़का और संरक्षित होता है।
अंडकोश
[संपादित करें]अंडकोश एक थैली जैसी संरचना है जो लिंग के पीछे लटकती है। यह अंडकोष को पकड़कर रखता है और उसकी सुरक्षा करता है। इसमें असंख्य तंत्रिकाएँ और रक्त वाहिकाएँ भी होती हैं।
आंतरिक जननांग अंग
[संपादित करें]वृषण
[संपादित करें]वृषण के दो प्रमुख कार्य हैं: वीर्य नलिकाओं के भीतर शुक्रजनन कोशिकाओं के अर्धसूत्रीविभाजन द्वारा शुक्राणु का उत्पादन करना। [1]
अधिवृषण
[संपादित करें]अधिवृषण कसकर कुंडलित ट्यूब का एक लंबा सफेद द्रव्यमान है।
विकास
[संपादित करें]पुरुष प्रजनन प्रणाली का भ्रूणीय और प्रसव पूर्व विकास वह प्रक्रिया है जिसके तहत प्रजनन अंग बढ़ते हैं, परिपक्व होते हैं और स्थापित होते हैं।
यौन निर्धारण
[संपादित करें]यौन पहचान निषेचन पर निर्धारित की जाती है जब जाइगोट के जीनटिक लिंग को शुक्राणु कोशिका द्वारा प्रारंभ किया जाता है। जिसमें या तो X या Y गुणसूत्र हो। यदि इस शुक्राणु कोशिका में एक X गुणसूत्र है तो यह डिंब के X गुणसूत्र के साथ मेल खाएगा और एक महिला बच्चा विकसित होगा।
अन्य भ्रूणीय प्रजनन संरचनाएँ
[संपादित करें]वृषण के स्राव द्वारा संरचनाओं का मर्दन किया जाता है:
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Sharma S, Hanukoglu A, Hanukoglu I (2018). "Localization of epithelial sodium channel (ENaC) and CFTR in the germinal epithelium of the testis, Sertoli cells, and spermatozoa". Journal of Molecular Histology. 49 (2): 195–208. PMID 29453757. S2CID 3761720. डीओआइ:10.1007/s10735-018-9759-2.
- ↑ "Differentiation of the urogenital sinus in males". www.embryology.ch. मूल से 15 फ़रवरी 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 जून 2023.