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मंगलवार, 27 अप्रैल, 2004 को 15:25 GMT तक के समाचार
 
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यूरोपीय संघ का सफ़रनामा-2
 
जर्मनी और फ्रांस के नेता
अपने-अपने हितों पर गहन विचार
28 फ़रवरी, 1957
रोम संधि

यूरोपीय संघ का एक यूरोपीय आर्थिक समुदाय (ईईसी) बनाने की दिशा में रोम संधि को रूप में एक क़दम बढ़ाया गया. ईसीएससी के छह देशों ने रोम संधि पर हस्ताक्षर किए जिसके बाद यूरोपीय साझा बाज़ार (ईईसी) वजूद में आया और साथ ही यूरोपीय परमाणु ऊर्जा संगठन (यूरोटॉम) भी बना. यूरोपीय आर्थिक समुदाय की ख़ासियत यह थी कि संघ के देशों में सामान लाने-ले जाने पर कोई शुल्क नहीं लगेगा और लोग कहीं भी काम कर सकेंगे. फ्रांस को ख़ुश करने के लिए रोम संधि में किसानों को भी सब्सिडी देने का व्यवस्था की गई. यूरोटॉम का मक़सद था यूरोपीय संघ की एक मिली जुली परमाणु ऊर्जा नीति का विकास करना.

28 फ़रवरी, 1958
यूरोपीय आर्थिक समुदाय (ईईसी) ने ताक़त हासिल की

यूरोपीय आर्थिक समुदाय ने काम करना शुरू किया और बहुत जल्दी ही इसने ख़ुद को यूरोपीय संघ के एक ताक़तवर संगठन के रूप में स्थापित कर लिया. इसका एक आयोग है, एक मंत्रिपरिषद है और एक यूरोपीय संसद की एक सलाहकार एसेंबली है जिसके सदस्य देशों की संसदों से चुनकर आते हैं. इसी समय यूरोपीय न्यायिक आयोग वजूद में आया जिसने आर्थिक समुदाय के फ़ैसलों पर किसी तरह का मतभेद होने पर रोम संधि को परिभाषित करने की ज़िम्मेदारी संभाली.

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29 फ़रवरी, 1960
ईईसी का विकल्प

यूरोपीय आर्थिक समुदाय के विकल्प के रूप में यूरोपीय मुक्त व्यापार संगठन यानी (ईएफ़टीए) वजूद में आया जिसे ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, नॉर्व, पुर्तगाल, स्वीडन, स्विटज़रलैंड और ब्रिटेन ने बनाया. ईईसी की तरह से ही ईएफ़टीए का मक़सद भी यूरोपीय संघ के देशों में मुक्त व्यापार को बढ़ावा देना था लेकिन इसने सभी देशों में एक जैसे शुल्क लगाने का विरोध किया और देशों से ज़्यादा मज़बूत संगठनों के गठन को भी ग़ैरज़रूरी बताया.

28 फ़रवरी, 1961
ईईसी में शामिल होने की ललक

ब्रिटेन, डेनमार्क और आयरलैंड ने ईईसी में शामिल होने की इच्छा ज़ाहिर की. ब्रिटेन की तरफ़ से यह निर्णय हैरोल्ड मैकमिलन के नेतृत्व वाली कंज़रवेटिव सरकार ने किया लेकिन फ्रांस ने इस फ़ैसला का स्वागत नहीं किया. फ्रांस के राष्ट्रपति चार्ल्स डी गॉल ईईसी के ज़रिए अंतरराष्ट्रीय मामलों में फ्रांस की आवाज़ को असरदार तरीक़े से इस्तेमाल करना चाहते थे लेकिन ब्रिटेन के इसमें शामिल होने के इरादों को गॉल ने इसमें बाधा के रूप में देखा. राष्ट्रपति गॉल ब्रिटेन के अमरीका से नज़दीकी रिश्तों को लेकर भी चिंतित थे.

28 फ़रवरी, 1963
फ्रांस ने वीटो किया

फ्रांस के राष्ट्रवादी राष्ट्रपति चार्ल्स डी गॉल ने ईईसी में ब्रिटेन के शामिल होने के प्रस्ताव पर वीटो कर दिया. उन्होंने दलील दी कि ब्रिटेन सरकार में यूरोपीय एकीकरण के लिए प्रतिबद्धता की कमी है.

 
 
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