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मई | 2008 | Sush12's Weblog

Archive for मई, 2008

तिल के गुण

तिल   सर्दी    के   मौसम   का   शक्तिप्रद   खाद्ध   है।गर्भवती   को   तिल   न   खिलाएं, इससे   गर्भ   गिर   सकता   है। काले   तिल   उत्तम   होते   हैं। तिल   बालों   के   लिये   हितकारी, चर्म   को   साफ़   करने   वाले, मस्तिष्क   शक्तिवर्धक   होते   हैं। तिल,  चावल  और  मूंग   की   दाल   की   खिचड़ी   भी   कब्ज़   दूर   करती   है। शरीर   को    जितने   कैल्शियम   की   प्रतिदिन   आवश्यकता   है,  उतना   ५० ग्राम   तलों   में   मिल   जाता   है। तिलों   में   प्रोटीन   मिलता   है। विटामिन  बी०   काम्प्लैक्स   भी   तिल   में   पाया   जाता   है।

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पानी की उपयोगिता

पानी     एक    साथ    नहीं,    धीरे-धीरे,   घूँट-घूँट    पीना    चाहिये ताकि    शरीर   के    तापमान   के   अनुसार   वह   पेट   में   पहुँचे।भोजन   से   पहले    पानी    पीने   से   पाचन   शक्ति   कम   होती   है। भोजन   के   मध्य   में५-६  घूँट   पानी     पीने    से   भोजन   जल्दी   पच   जाता   है।भोजन   के   तुरन्त   बाद   पानी    पीने    से   शरीर   मोटा   होता   है। पाचन- क्रिया   और    बल   कम   हो   जाता   है। जिन्हेण   कब्ज़   रहे,   उन्हें   भोजन   के   साथ   घूँट-घूँट   पानी   पीते   जाना   चाहिये। प्रातः   उठते   ही   एक   गिलास   पानी   पीयें।जिनका   शरीर   मोटा   हो   गया   है  उन्हें   सदा   गुनगुना   पानी  अधिक   मात्रा   में   पीना   चाहिये। बिच्छू   काटने   पर   तत्काल   ठंडे   पानी   से   स्नान   करें,दर्द   ऊपर   नहीं   चढ़ेगा।कहीं   भी   कैसा   भी   दर्द   हो  तो   पहले   गर्म    पानी   से   सेंक   करें, फर   ठंडे   पानी   से   सेंक   करें,  लाभ   होगा। तेज   ज्वर   में   ठंडे   पानी   का   स्पंज   लाभदायक   है। यदि   पानी   बिल्कुल    साफ़   न   हो   तो   उबालकर   ठंडा   कर   लें,उसे   पीयें। बदहज़मी    हो   जाए  तोएक   दिन   केवल   पानी   पीकर   ही   रहें।  अन्य    कुछ   न   खाऐं।

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CELEBERATE ANTI SMOKING DAY WITH PLEASURE

Be    an    Active

                            NON_SMOKER

GIVE   UP    PASSIVE    SMOKING

CHOOSE   TO    BE    A     NON-SMOKER

1=Avoid     being    around    when   people    are    smoking.

2==When    dining   out,  ask    to    be      seated       in       a        SMOKE-FREE   ZONE.  If    there     is     no      smoke-free   zone,   express      your       disappointment         to        the        management.

3==Make      your      home,  car,  workplace– any    shared         environment –  a    SMOKE      FREE    AREA.

4==Politely         request          smokers      to        respect          your          right        to         CLEAN  AIR       in    shared      environment.     They       can       smoke       some     other      place.

 

REMEMBER       YOU         HAVE        A          RIGHT           TO          CLEAN         FRESH           AIR.

 

        JUST           SAY     “NO   SMOKING   PLEASE  !”

          

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गुड़ के गुण

रक्तविकार   वाले   व्यक्ति   को   चीनी   के   स्थान   पर   गुड़   की   चाय, दूध, लस्सी   किसी   भी   पेय   में   लाभदायक   है।  खाने   के   बाद   २५ग्राम   गुड़   नित्य   खाने   से   उदर- वायु, उदर- विकार   ठीक   होते   हैं,  शरीर   में   यौवन   बना   रहता   है। शारीरिक   श्रम   करने   वाले   मजदूर   गुड़   खाकर   अपने   शरीर   की   टूट-फूट   को   ठीक   कर   लेते   हैं, थकावट   मिटा   लेते   हैं।  ह्रदय   की   दुर्बलता   में   गुण   खाने   से   लाभ   होता   है। सर्द   ऋतु   में   गुण   और   काले   तिल   के   लड्डू   खाने   से   ज़काम, खाँसी, दमा, ब्रांकाइटिस  आदि   रोग   दूर   होते   हैं।

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लहसुन के गुण

लहसुन   खाने   से   भूख   अच्छी   लगती   है। शरीर   में   गर्मी, चेहरे   पर   चमक   रहती   है, कृमि  नष्ट   होते   हैं। इसे   नित्य   खाने   से   रोगों   से   बचाव   होता   है। लहसुन   उत्तेजक   और   चर्मदाहक   होता   है। यह   रक्त, ताक़त और  वीर्य   बढ़ाने   वाला   है। लहसुन   के   रस   को   गर्म   पानी   के   साथ   देने   से   श्वास, दमा   में   लाभ   होता   है। गला   बैठने   पर   गर्म   जल   में   लहसुन   का   रस   मिलाकर   गरारे   करें। पाचन- क्रिया   को   लहसुन   से   बड़ा   बल   मिलता   है, यह   अंतड़ियों   में   रुकी   हवा   निकाल   देता   है। हड्डी   के   कोई   भी   रोग   में   लहसुन   के   सेवन   से   लाभ   होता   है। लहसुन   दिल   की   बीमारी    रोकने   से   बचाव   करता   है। गठिया   में   लहसुन   खाने   से   लाभ   होता   है। लहसुन   के   सेवन   से   पेट   का   कैंसर   नहीं   होता।

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काफी के गुण

कहीं   भी   कैसा   भी   दर्द   हो,   काफी   पीने   से   दर्द   कम   होता   है।काफी   पेशाब   अधिक   लाती   है। काफी   पीने   से   ह्रदय   व   साँस   की   नलियाँ   फैलती   है। यदि   तेज   खाँसी, दमा   का   दौरा   पड़ा   हो   तो   बिना   दूध   की   गर्म   काफी   पीयें।तेज   काफी   लेने   से   मदिरा   और   अफीम   के   विष   का   प्रभाव   नष्ट   होता   है।देर   से   प्रसव   होने   से   बैचेनी, उत्तेजित   महिलाओं   को   तेज   काफी   देने   से   लाभ   होता   है। काफी   पीने   से   मानसिक और  शारीरिक   थकान   एवं   भोजन   करने   के   बाद   पेट   में   होने   वाली   गड़बड़ियां   दूर   होती   हैं।काफी   पीने   से   मस्ती   प्रतीत   होती   है।  काफी  लगातार   लम्बे   समय   तक   पीते   रहने   से  स्नायु   दुर्बल   हो   जाते   हैं, स्वास्थ्य   खराब   रहता   है। अतः   इसे   औषधि   की  तरह   आवश्यकता   पड़ने   पर   ही   पीनी   चाहियें।

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जौ के गुण

जौ   का   पानी   पीने   से   पथरी   निकल   जाती   है। पथरी   के   रोगियों   को   जौ   से   बनी    चीजें   जैसे   जौ   की   रोटी, जौ   का   सत्तू   लेना   चाहिये। आन्तरिक   बीमारियों   में   जौ   की   रोटी   खाना   लाभदायक   है। सूजन,ज्वर और   पेशाब   में   जलन  होने   पर   जौ   का   पानी   देना   विशेष   लाभप्रद   है। जौ   जलाकर   तिल   के   तेल   में   बारीक   पीसकर   जले   हुए   स्थान   पर   लगाएं।

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नीम के गुण

नीम   रक्त   साफ़   करता   है। दाद,खाज,ब्लडप्रेशर   में   प्रातः   २५ग्राम   नीम   की   पत्ती   का   रस   लेना   लाभदायक   है। नीम   के   पत्ते   कीढ़े   मारते   हैं, इसलिये   पत्तों   को   अनाज, कपड़ों   में   रखते   हैं।नीम   की   कोपलों   को   पानी   में   उबालकर   कुल्ले   करने   से   दाँतों   का   दर्द   जाता   रहता   है। चेचक   होने   पर   रोगी   को   नीम   की   पत्तियों   बिछाकर   उस   पर   लिटाएं। सिर   के   बाल   गिरना   शुरु   ही   हुए   हो   तो   नीम   और   बेर   के   पत्तों   को   पानी   में    उबालकर   सिर   धोएं, बाल   गिरना   बन्द   हो   जाएगा। नीम   की   २०पत्तियाँ   पीसकर   एक   कप   पानी   में   मिलाकर   पिलाने   से   हैजा़   ठीक   हो   जाता   है। गठिया   की   सूजन   पर   नीम   के   तेल   की   मालिश   करें।

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पान के गुण

लोग   पान   चबाया   करते   हैं। पान   भोजन   के   बाद   ही   खाना   चाहियें। पान   में   मुलेठी   और   सिकी   हुई   सुपारी   डालने   से   पान   का   स्वाद   बढ़   जाता   है। वृक्क   के   रोगों   में    पान   लाभदायक   है। खाँसी, जु़काम   हो   तो   पान   में   लौंग   डालकर   खायें।  खाँसी  बार-बार   चलती   हो   तो   सेकी   हुई   हल्दी   का   टुकढ़ा   डालकर   पान   खायें। भूखे   पेट   पान   खाना   हानिकारक   है। गर्म   प्रकृति   वालों   को   पान   नहीं   खाना   चाहियें।

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पीपल और हर्र के गुण

पीपल   काली   होती   है   तथा   पंसारी   के   मिलती   है। तीन   पीपल   पीसकर  शहद   में   मिलाकर   चाटने   से   श्वास, खांसी  के  साथ  ज्वर, मलेरिया   ठीक   होता   है। फ्लू   में   दो   पीपल   या   चौथाई   चम्मच   सौंठ   दूध   में   उबाल   कर   पिलाएं। चार   पीपल   का   चूर्ण  आधा   चम्मच   शहद   में   डालकर   नित्य   चाटें,  इससे   मोटापा   भी   घटता   है।
  पीपल   वृक्ष   के   पत्ते   दस्तों   को   बन्द   करते   हैं।इसके   पत्ते   चबाएं   या   पानी   में   उबालकर   इसका   उबला   हुआ   पानी   पीयें।

एक   मुरब्बे   की   हर्र   रात   को   खाकर   दूध   पीने   से  प्रातः   दस्त   साफ   आता   है।हर्र   को   पीसकर   शहद   में   मिलाकर   चाटने   से   उल्टी   बन्द   हो   जाती   है।अरक्तस्त्रावी   बवासीर   में   आधा   चम्मच  हर्र   का   चूर्ण   गर्म   पानी   में   सुबह-शाम   लेने   से   लाभ   होता   है।
 

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