रक्षाबंधन हिन्दुओं का सांस्कृतिक पर्व है। यह विश्व-प्रेम और विश्व-शांति की स्थापना के उद्देश्य से प्राचीनकाल से मनाया जाता है। रक्षाबंधन का ऐतिहासिक महत्व मेवाड़ की रानी कर्मवती से जुड़ा है। राख़ी में इतनी शक्ति है कि एक विदेशी भी प्रभावित हुए बिना न रह सका। हर त्यौहार की भाँति इस पर्व को मनाने के भी कुछ प्रमुख कारण है। आधुनिक भौतिक युग में मानवीय सम्बन्धों में दरारें आती जा रही हैं। इसलिए इस त्यौहार का वह रुप अब नही रह गया है जैसा कि पहले था। न तो भाईयों में ही त्याग की भावना रही , न बहनों में ही प्यार का भाव। यदि हम इस त्योहार के प्राचीन गौरव को समझकर अपना सकें तो निश्चित ही देश में , समाज में स्नेह और प्रेम की धारा बहने लगेगी। धन से बहन की पवित्र राखी का मूल्य नहीं चुकाया जा सकता। किसी ने ठीक ही कहा है——-
बहन तुम्हारी इस राख़ी का , मूल्य भला क्या दे पाऊंगा।
बस इतना तेरे इंगित पर , बहन सदा बलि-बलि जाऊंगा।।
त्याग और प्रेम के इस पर्व पर आप सभी को मेरी ओर से बहुत-बहुत बधाई । ईश्वर से यह कामना करते हुए कि सभी भाई-बहन एक-दूसरे के साथ प्रेम से रहें।
Archive for अगस्त, 2010
रक्षा बंधन
सत्यवचन
प्रत्येक बुद्धिमान के सामने मूर्ख़ और प्रत्येक मूर्ख़ के सामने अधिक मूर्ख बनकर खड़े रहो । फिर देखो तो मिलन में कैसा मजा है।
स्वाधीनता दिवस के उपलक्ष में एक पौष्टिक मिष्ठान————
दलिए की कतली===========
१००ग्राम गेहूँ का दलिया , २५०ग्राम चीनी , १००ग्राम खोया , ५०ग्राम मिला-जुला मेवा , ५ छोटी इलाइची , १कटोरी घी।
दलिए को साफ़ करके घी में करारा तल लें। मेवे को भी तल कर रख दें। खोए को कढ़ाही में सुनहरा भून करकर ठंडा कर लें। सभी सामग्री को ठंडा होने पर चीनी की तीन तार की कड़ी चाशनी तैयार कर ले । अब उसमें सभी सामान डालकर आँच पर ही अच्छी तरह मिलाकर चिकनी थाली में गरमागरम फैला दें। ऊपर से इलाइची पीसकर बुरक दें। १५-२० मिनट बाद मनचाहे आकार में कतलियाँ काट लें। चाँदी के वरक़ लगाकर परोसें।
सत्यवचन
स्वतनंत्रता- १=वायु की तरह सबसे सम्मिलित और निर्लेप रहो। प्रत्येक रंग का मज़ा लेते हुए बेरंग की बहार लो।
२=फूल की सुगंध की तरह संसार में रहो । ऐसा न हो कि तुम किसी पर भार हो जाओ।
स्वतंत्रता दिवस(१५अगस्त)
१५ अगस्त अर्थात सवाधीनता दिवस हमारा राष्ट्रीय पर्व है। इसे हमें जातिवाद तथा प्रांतीय भावनाओं को त्यागकर सच्चे भारतीय के रूप में मनाना चाहिए। हमें यह प्रयास करना चाहिए कि स्वतंत्रता का यह आलोक भारत के कोने-कोने में निर्धन से निर्धन व्यक्ति की कुटिया तक पहँच सके। इस आज़ादी को बरकरार रख़ने के लिए हमें आपसी भेदभाव , ऊँच-नीच , को भुलाते हुए देश की उन्नति में अपने तन-मन धन से सहयोग करना चाहिए।
सभी को मेरी ओर से स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामना।
सत्यवचन
स्वतंत्रता——— मन पहले ही स्वतंत्र है क्योंकि एक जगह तो लगता ही नहीं , इन्द्रियाँ पहले ही स्वतंत्र हैं क्योंकि सब काम काज करते हुए भी उनमें कुछ अटकता अथवा चिपकता नहीं , प्राण पहले ही स्वतंत्र हैं क्योंकि ममतारहित हैं , दुनिया का समस्त सामान भी पहले ही स्वतंत्र है क्योंकि उसके ऊपर किसी का अधिकार रह नहीं सकता , इस प्रकार प्रत्येक चीज़ आजा़द है। ये संसार नहीं है लेकिन स्वतंत्रता का उद्यान है।
आध्यात्मिक डायरी
सोने से पहले दिन भर की अपनी गल्तियों पर विचार कीजिए। आत्म विश्लेषण किजिए। दैनिक आध्यात्मिक डायरी तथा आत्म-सुधार रजिस्टर रख़िए। भूतकाल की गल्तियों का चिन्तन न कीजिए।
कामिका एकादशी
सावन बदी एकादशी का नाम ही कामिका एकादशी है। इसमें भगवान श्रीधर की पूजा का विधान है। भगवान को पंचामृत से स्नान करके धूप-दीप चंदन आदि से पूजन करें।आरती उतार कर भगवान के भोग से ब्राह्मण को भोजन कराएं। यह व्रत-पूजन भगवान विष्णु का है।