त्यौहार जीवन में मनोरंजन लाते हैं। भारतीय त्यौहार भारतीय संस्कृति की उज्ज्वलता के प्रतीक हैं। इन्होंने ही तो संस्कृति को अजर-अमर बनाया है। विजय-दशमी भी हिन्दू जाति का एक गौरवपूर्ण त्योहार है। यह आश्वनि मास की शुक्ल पक्ष की दशमी के दिन मनाया जाता है।इस दिन श्री रामचन्द्र जी ने लंकापति को मारकर निरीह जनता को अत्याचारों से मुक्त कराया था। यह पर्व आसुरी प्रवृत्ति पर सात्विक प्रवृत्ति की विजय का प्रतीक है। सचमुच यह पर्व हमारा राष्ट्रीय, ऐतिहासिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक पर्व है।यह पर्व हमारी राष्ट्रीय एवं सांस्कृतिक एकता को बल प्रदान करता हे। भारतीय त्योहार भारत का गौरव है। अतः इन त्योहारों के महत्व को बनाए रखना प्रत्येक भारतवासी का कर्तव्य है।
Archive for सितम्बर, 2008
रामचरित मानस
हिन्दी में अनेक प्रकार के धर्मिक ग्रंथ है, जिनमें से एक रामचरित मानस है। रामचरित मानस जीवन का महाकाव्य है।इसमें गोस्वामी तुलसीदास जी ने जीवन के पहलुओं का बड़ा ही सटीक वर्णन किया है। रामचरित मानस जीवन-काव्य होने के साथ ही एक महत्वपूर्ण प्रबन्धकाव्य भी है। इसकी रचना लगभग साढ़े चार सौ वर्ष पूर्व गोस्वामी तुलसीदास ने की थी। गोस्वामी तुलसीदास जी का जन्म संवत १५५६ के आस-पास उत्तर प्रदेश में राजापुर नामक गाँव में हुआ था, जो इस समय बाँदा जि़ले के अन्तर्गत आता है। रामचरित मानस की रचना श्रीरामकथा के आधार पर की गई है। रामचरित-मानस में सात काण्ड है।मानव जीन में वैयक्तिक जीवन से लेकर समाज और राष्ट्र का महत्वपूर्ण स्थान होता है। व्यक्तिगत जीवन में भाई-बहन-माता-पिता-पुत्र आदि लोग होते हैं जिनके साथ रहकर मनुष्य जीवन के मार्ग पर आगे बढ़ता है।हम किस प्रकार इनके साथ रहे और अपना जीवन व्यतीत करें, यह हमें रामचरित मानस में ही दृष्टिगोचर होता है। पारिवारिक विषम परिस्थितियों में किस प्रकार हमें धैर्य,साहस, और त्याग से काम लेना चाहिये, इसका यथार्थ ज्ञान हमें रामायण के पात्रों के चरित्र से होता है।संसार की अनेक भाषाओं में इसका अनुवाद हो चुका है। विश्व में यह ही एक ऐसा काव्यग्रन्थ है जिसे सबसे अधिक लोग पढ़ते हैं।
डौटर्स डे के उपलक्ष में कुछ पहेलियां
१—— दे न सकेगा दान कोई भी,
जितना उसने दे डाला।
वाह कलेजे का टुकढ़ा,
बलिदान उसी ने कर डाला।
(पन्नाधाय)
२—— रानी नारी से नर बनी,
रणचण्डी बन अड़ी डटी।
झुकी नहीं ‘गोरों’ के सम्मुख,
मातृभीमि पर मर मिटी।
(झाँसी की रानी)
३——- प्रथम कटे छली बनूं,
पानी प्राणों सम प्यारा।
चिकनी मेरी काया,
हूँ मैं रानी तारा।
(मछली)
४——- अंत कटे बगुला बन जाती,
आदि कटे तो हाथी
गाय-भैंस न समझो मुझको,
फिर भी दूध पिलाती।
(बकरी)
हैप्पी डौटर्स डे
सभी प्यारी-प्यारी बेटियों को मेरी ओर से शुभकामनाएं। आप सभी का भविष्य उज्जवल हो और अपने माता-पिता का नाम रौशन करो,यही प्रार्थना है।
नवरात्र व्रत
नवरात्र व्रत आश्वन शुक्ला प्रतिपदा से नवमी तक होते हैं। ये शरदीय नवरात्र होते हैं।वासन्तिक नवरात्र के समान इसमें भी शक्ति की उपासना की जाती है। देवी-व्रतों में कुमारी पूजन परमावश्यक माना गया है।इसे ‘दशहरा’ भी कहा जाता है। भगवान् ने इसी दिन लंका पर चढ़ाई करके विजय प्राप्त की थी। मुख्य रुप से ये क्षत्रियों का त्यौहार है।इस दिन नीलकंठ का दर्शन शुभ माना जाता है। इसमें नौ दर्गा का पूजन किया जाता है, व्रत-पूजन नौ दिन तक चलता है।दुर्गा-सप्तशती का पाठ किया जाता है। यह शक्तियों का सबसे बड़ा वृत पूजन होता है।
पितृ विसर्जन
ब्रह्मपुराण में लिखा है कि आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में यमराज यमपुरी से पितरों को मुक्त कर देते हैं और वे अपनी सन्तानों से पिण्ड दान लेने के लिये भूलोक में आ जाते हैं। सूर्य के कन्या राशि में आने पर वे यहाँ आते हैं और अमावस्या के दिन तक घर के द्वार पर ठहरते हैं।सूर्य के कन्या राशि में जाने के कारण ही आश्विन मास के कृष्ण पक्ष का नाम ‘कनागत’ पड़ गया। क्वार की अमावस्या को पितृ- विसर्जन अमावस्या कहते हैं। इस दिन श्राद्धों की समाप्ति होती है। इस दिन श्राद्ध करने से पितर संतुष्ट होकर आशीर्वाद देते हैं।सांयकाल दीपक जलाने के अवसर पर अपने दरवाज़े पर दीपक और पूड़ी आदि खाने का सामान रख दिया करते हैं, जिसके रखने का अर्थ यह होता है कि घर से जाते समय पितर भूखे गमन न करें और जाते समय प्रकाश के लिये दीपक जलाया जाता है।
कुछ काम की बातें
१= दूसरों के सुख-दुख में शामिल हों।
२= अपने को घरेलू या मनोरंजक कार्यों में व्यस्त रखें।
३= खुद को तन्हा और निराश मानकर घर में कैद न हों। जिन कार्यों से, व्यक्तियों से आपको प्रेरणा मिलती है, उनकी सहायता लें।
४= जीवन के प्रति सकरात्मक दृष्टिकोण अपनाएं।
५= श्रेष्ठ साहित्य पढ़े जिस से आपका मानसिक विकास हो।
६= दूसरों को जानने- समझने की क्षमता पैदा करें।
७= अगर कोई आपको देखकर बातें बनाये या हँसे तो भी परवाह न करें।
८= दूसरों को दोष देकर बदनामी या घृणा मत मोल लें।
९= समय के उबाऊपन से मुक्ति पाने के लिये पिकनिक, सिनेमा आदि के कार्यक्रम बनाएं।
१०= अपने एक से नीरस दिनचर्या में समय-समय पर परिवर्तन करते रहें। इस परिवर्तन से आप स्फुर्ति तो अनुभव करेंगे साथ ही यह आपको जीवन में निराशात्मक दृष्टिकोण के फलस्वरुप उपजी कुंठा से मुक्ति दिलाने में भी सहयोगी सिद्ध होगा।
इन्दिरा एकादशी
क्वार बदी एकादशी को इन्दिरा एकादशी कहते हैं।। इसमें सालिग्राम की पूजा होती है , पूरे दिन व्रत रखा जाता है। व्रत रखने वाले को स्वयं स्नान करने के बाद सालिग्राम को पंचाम्रत से स्नान कराना चाहिये,शुद्ध वस्त्र पहनाकर धूप-दीप आदि से पूजन करना चाहिये। भोग लगाकर आरती उतारी चाहिये।भोग लगाने पर सालिग्राम पर तुलसी-पत्र अवश्य चढ़ाना चाहिये।इस व्रत से करोड़ों पितरों का उद्धार होता है और उन्हें स्वर्ग में स्थान मिलता है।
शहद और घरेलू चिकित्सा(HONEY)
शहद हल्का होता है,इसे जिस चीज़ के साथ लिया जाए उसी प्रकार के प्रभाव दिखाता है। शहद पर देश, काल, जंगल का प्रभाव पड़ता है।अतः इसके रंग,रुप,स्वाद में अन्तर रहता है। शहद में पोटाशियम होता है जो रोग के कीटाणुओं का नाश करता है। शहद में लोह-तत्व अधिक होता है।सुबह-शाम भोजन के बाद नींबू के रस में शहद मिलाकर पीयें। दूध में शह मिलाकर भी पी सकते हैं। शहद एक टानिक है,एक दवा है पर कितने लोगों को इसके गुणों की सही जानकारी है,शहद शुद्ध होने पर ही लाभदायक है। शहद की कुछ बूंदे पानी में डालें।यदि ये बूंदें पानी में बनी रहती है तो शहद असली है और यदि शहद की बूंदें पानी में मिल जाती हैं तोशहद में मिलावट है। फेफड़े के रोगों में शहद लाभकारी है। शहद खाँसी में आराम देता है। घावों पर शहद की पट्टी बाँधने से लाभ होता है। आँखों में काजल की तरह सोते समय शहद लगाने से रतौंधी दूर होती है। शहद स्नायुविक संस्थान की दुर्बलता दूर करता है।मोटापा कम करने के लिये शहद को प्रातः गर्म पानी में मिलाकर पीयें। अधिक गर्म चीज़ में मिलाने से शहद के गुण कम होते हैं। घी,तेल, चिकने पदार्थ के साथ शहद समान मात्रा में लेने से विष बन जाता है।
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